पाप तो उन लोगों को भी मिलेगा जिन्होंने पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवपुराण कथा में हजारों शिव भक्तों को परेशानी में डाला। शिव भक्तों का ऐसा अनादर कहीं नहीं हुआ होगा।
11 जुलाई को पुष्कर में पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव पुराण कथा का समापन हो गया। यह कथा सात दिन चली, लेकिन इन सात दिनों में हजारों शिव भक्तों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है, लेकिन भोलेनाथ कभी भी अपने भक्तों का अनादर बर्दाश्त नहीं करेंगे। पहले तो कथा स्थल मेला मैदान पर शिव भक्तों के बैठने के लिए पर्याप्त टेंट नहीं लगाए और फिर व्यवस्था के नाम पर आयोजकों ने अव्यवस्था फैलाई। पंडित प्रदीप मिश्रा की श्री विट्ठलेश सेवा समिति आर्थिक सहयोग तो सार्वजनिक तौर पर मांगती है, लेकिन यह कथा स्थल सुचारू व्यवस्था में कोई सहयोग नहीं करती। पुष्कर की कथा पांच जुलाई को शुरू हुई, लेकिन तीन जुलाई तक श्री विट्ठलेश सेवा समितिका कोई कार्यकर्ता नहीं आया। फलस्वरूप कथा के अनुभवहीन आयोजकों को जो अच्छा लगा वही किया। तैयारियों की शुरुआत के समय खुद आयोजकों ने स्वीकार किया कि कथा सुनने के लिए करीब 75 हजार शिव भक्त पुष्कर आएंगे। लेकिन कथा स्थल पर वाटर प्रूफ पंडाल सिर्फ 25 हजार लोगों के लिए ही बनाया गया। इस वाटरप्रूफ पंडाल के दोनों तरफ जो टेंट लगाए गए वे वाटर प्रूफ नहीं थे, फलस्वरूप शिव भक्तों को बरसात में भीगते हुए ही कथा सुननी पड़ी। आयोजकों को यदि अनुभव होता तो पचास हजार से ज्यादा शिव भक्तों के बैठने के लिए वाटरप्रूफ पंडाल बनाया जाता। यह पंडाल भी ऐसा होता जिसमें सभी शिव भक्तों से कथा वाचक की दूरी समान होती। मुख्य पंडाल के दोनों ओर जो टेंट लगा उन में बैठे शिव भक्तों को तो कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा नजर ही नहीं आए। शिव भक्तों की परेशानी तब और बढ़ गई जब भाजपा और कांग्रेस के नेता आयोजकों में शामिल हो गए। इन नेताओं ने पुष्कर और अजमेर में बड़े बड़े फ्लेक्स लगाकर यह दिखाया कि शिवपुराण कथा वे ही करवा रहे हैं। जबकि कथा वाचक की लाखों की फीस और मेल मैदान पर टेंट आदि का सारा खर्च अजमेर के कारोबारी अमित खंडेलवाल और उनके पिता कैलाश चंद खंडेलवाल ने उठाया। एक अनुमान के अनुसार सात दिनों की कथा पर करीब एक करोड़ रुपया खर्च हुआ। खंडेलवाल परिवार पहले ही उन लोगों के चंगुल में फंस गया जो हल्दी लगे न फिटकरी रंग चोखा आए की कहावत को चरितार्थ करते हैं। तब वोट के भिखारी नेताओं ने जबरन एंट्री ली तो शिव भक्तों को ज्यादा परेशानी हुर्ई। स्टेज पर कथा वाचक से आशीर्वाद लेने की तो होड़ रही, लेकिन किसी नेता ने बरसात में भीगते शिव भक्तों का ख्याल नहीं किया। पाप तो उन आयोजकों और पुलिस कर्मियों को भी लगेगा, जिन्होंने कथा सुनने आई महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। भोले की भक्त महिलाओं की चोटी पकड़ कर खींचा गया। वोट के भिखारी नेता मंच पर कथा वाचक से माला पहनते रहे और पंडाल में भोले की भक्त महिलाएं धक्के खाती रहीं। पुष्कर में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा में जिन शिवभक्तों का अनादर हुआ, उतना कहीं नहीं हुआ होगा। पाप तो उन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी लगेगा, जिन्होंने पहले खंडेलवाल परिवार को डराया और फिर ताकतवर नेताओं के सामने समर्पण करवा दिया। इन नेताओं ने ऐसे प्रदर्शित किया जैसे वे ही सब कुछ कर रहे हैं। पुलिस महकमे ने तो पास की व्यवस्था भी अपने कब्जे में कर ली। पैसा खर्च करने वाले खंडेलवाल परिवार के बजाए पुलिस वाले ही अपने लोगों को कथा वाचक के सामने बैठा रहे थे। पुष्कर आने वाले शिवभक्तों ने तो अनुभवहीन आयोजकों का दंड तो भुगता ही, साथ ही पंडित प्रदीप मिश्रा की श्री विट्ठलेश सेवा समिति के लालची रवैये से भी परेशानी हुई। कथा की व्यवस्थाओं में समिति की भी भागीदारी होनी चाहिए, ताकि शिव भक्तों को परेशानी न हो। पंडित प्रदीप मिश्रा को भी यह समझना चाहिए कि वे सिर्फ कथा वाचक है और अभी भगवान शिव की कृपा उन पर हो रही है, लेकिन यदि भोले के भक्त ऐसे ही परेशान होते रहे तो कृपा वापस होने में समय नहीं लगेगा। यदि भक्त ही नहीं आएंगे तो कथा कौन सुनेगा?
S.P.MITTAL BLOGGER (11-07-2023)
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