एसीबी ने 2 नवंबर को 15 लाख रुपए की रिश्वत वसूलने के आरोप में ईडी के अधिकारी को पकड़ा तो तीन नवंबर को राजस्थान के सचिवालय पर ईडी का छापा। जल जीवन मिशन में हुए एक हजार करोड़ रुपए के घोटाले में एसीएस सुबोध अग्रवाल के घर भी रेड। गहलोत की एसीबी को शाबाशी मिलनी चाहिए।
3 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जयपुर में राजस्थान सरकार के सचिवालय में जलदाय मंत्री महेश जोशी के कक्ष, जलदाय विभाग के एसीएस सुबोध अग्रवाल के घर, जलदाय विभाग के मुख्यालय जल भवन के साथ साथ जल जीवन मिशन से जुड़े ठेकेदारों के आवासों पर छापामार कार्यवाही की है। ईडी की इस कार्यवाही से सरकार में हड़कंप मच गया है। यह कार्यवाही तब की गई है, जब 2 नवंबर को एसीबी ने जयपुर में ईडी के अधिकारी नवल किशोर मीणा को 15 लाख रुपए की रिश्वत वसूलने के आरोप में गिरफ्तार किया। हालांकि का राजस्थान में ईडी की जांच पड़ताल से कोई सरोकार नहीं है, लेकिन फिर भी ईडी की ईमानदारी पर सवाल तो उठेंगे ही। 3 नवंबर को ईडी ने जो कार्यवाही की उस से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पसंदीदा जलदाय मंत्री महेश जोशी की मुसीबत और बढ़ गई है। पूर्व में भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने जल जीवन मिशन में एक हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था। ईडी ने इन आरोपों के तहत ही छापामार कार्यवाही की है। सुबह सुबह जब जयपुर स्थित सचिवालय में ईडी के अधिकारी पहुंचे तो हड़कंप मच गया। ईडी के अधिकारी मंत्री महेश जोशी के दफ्तर में रखी फाइलों की जांच पड़ताल कर रहे हैं। इसी प्रकार एसीएस सुबोध अग्रवाल के आवास पर रखे कम्प्यूटर आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच भी की गई है। आरोप है कि जल जीवन मिशन में मंत्री के निर्देश पर नियमों की अवहेलना कर चहेते ठेकेदारों को ऊंची कीमत पर काम दिया गया। जिन ठेकेदारों को काम मिला, उन्होंने हरियाणा से चोरी किए पाइप ग्रामीण क्षेत्रों में बिछा दिए। आरोप यह भी है कि लोहे की जगह प्लास्टिक के पाइप बिछाए गए। जलदाय विभाग के मुख्यालय जल भवन में इंजीनियर दिनेश गोयल, केडी गुप्ता, रामकरण आदि के कार्यों की जांच पड़ताल भी की गई है। ईडी ने एक साथ 20 ठिकानों पर छापामार कार्यवाही की।
एसीबी को शाबाशी:
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली जांच एजेंसी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इन दिनों राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में कोहराम मचा रखा है। प्रदेश में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है, लेकिन चुनाव के दौरान ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के पुत्र अभिलाष और अविनाश को दिल्ली तलब किया गया है। वैभव गहलोत को 16 नवंबर को दूसरी बार और अभिलाषा व अविनाश को 7 नवंबर को पहली बार तलब किया गया है। लेकिन 2 नवंबर को ईडी को उस समय झटका लगा जब उसी के अधिकारी नवल किशोर मीणा को जयपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। असल में मीणा मणिपुर में तैनात है,लेकिन चिटफंड घोटाले में आरोपी की संपत्ति को अटैच नहीं करने की एवज में राजस्थान के नीमराना में 15 लाख रुपए की रिश्वत ले रहे थे। यह रिश्वत नवल किशोर अपने मित्र बाबूलाल मीणा के माध्यम से ले रहे थे। बाबूलाल खैरथल के मंडावर स्थित पंजीयन विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अधीन काम करने वाली एसीबी ने पहले बाबूलाल को नीमराना में 15 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा और फिर जयपुर में ईडी अधिकारी नवल किशोर को दबोच लिया। इसके लिए एसीबी को शाबाशी मिलनी चाहिए। जो ईडी राजस्थान में कांग्रेस के दिग्गजों के बेटों को बेईमान साबित करने में जुटी हुई है, वही ईडी खुद बेईमान नजर आ रही है। नवल किशोर मीणा की गिरफ्तारी के बाद राजस्थान में ईडी के कोहराम को झटका लगेगा। मालूम हो कि मणिपुर में चिटफंड घोटाले का आरोपी हरियाणा का निवासी है, इसलिए उसने हरियाणा के निकट नीमराना में रिश्वत की राशि देना तय किया। इस आरोपी ने पहले विस्तृत जानकारी राजस्थान में एसीबी को दी। एसीबी ने मोबाइल नंबर रिकॉर्डिंग के जरिए इस बात की पुष्टि की। रिश्वत ईडी का अधिकारी नवल किशोर ही मांग रहा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (03-11-2023)
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