जब संभल में जमीन से पूरे मंदिर, कुए, बावड़ी, तालाब आदि निकल रहे है तब प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट क्या करेगा? अखिलेश, ममता जैसे नेताओं को मौजूदा जमीनी हकीकत को समझना चाहिए। अब राहुल गांधी ने भी अपना टी शर्ट का रंग बदल लिया है।

उत्तर प्रदेश के संभल की शाही मस्जिद और अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में सनातन धर्म के मंदिर और प्रतीक चिह्न होने के दावों के मद्देनजर अनेक मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर रखी है। इन याचिकाओं में कहा गया कि 1991 में द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट प्रभावी हो गया, इसलिए अब किसी भी मस्जिद अथवा दरगाह में पुरातत्व विभाग द्वारा सर्वे नहीं करवाया जा सकता है। वर्शिप एक्ट के अनुसार 1947 में धार्मिक स्थलों को जो स्थिति थी, वह कायम रहेगी। वर्शिप एक्ट को देखते हुए ही विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा मस्जिद परिसरों के सर्वेक्षण करवाने वाले आदेशों पर रोक लगा दी। कहा गया कि जब तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तब तक देश की कोई भी अदालत मस्जिद अथवा दरगाह में मंदिर होने के मुकदमों में कोई निर्णय नहीं देगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर वर्शिप एक्ट पर अपना पक्ष रखने के आदेश दिए है। केंद्र सरकार को 9 जनवरी तक अपना पक्ष रखना है। लेकिन सवाल उठता है कि जब उत्तर प्रदेश के संभल में जमीन के अंदर पूरे मंदिर, कुएं, बावड़ी, तालाब आदि निकल रहे हैं, तब वर्शिप एक्ट क्या करेगा? देश के विभाजन के समय 1947 के बाद संभल में जो सांप्रदायिक दंगे हुए उनमें मंदिरों, कुओं तालाबों और बावडिय़ों को ही जमीन में दफन कर दिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार 1978 में हुए दंगों में लोगों को टायरों से बांधकर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी गई। आजादी के समय संभल में हिंदू आबादी 45 प्रतिशत थी, लेकिन दंगों के बाद यह आबादी मात्र 20 प्रतिशत रह गई है। हिंदू समुदाय के लोगों ने जब जान बचाने के लिए घर छोड़ा तो सनातन धर्म के चिन्हों को भी छोड़ना पड़ा। आज संभल में मुस्लिम आबादी 80 प्रतिशत है। यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क और उनके परिवार के सदस्य ही चुनाव जीतते हैं। खुद सांसद बर्क पर दंगे भड़काने, बिजली चोरी आदि करने के गंभीर आरोप लगे है। अब जब प्रशासन की सख्ती हो रही है, तब जमीन के अंदर से सनातन संस्कृति निकल रही है। 1991 को वर्शिप एक्ट मस्जिदों में बदलाव की इजाजत नहीं देता, लेकिन जब जमीन के अंदर से पूरे मंदिर ही निकल रहे तो तब सुप्रीम कोर्ट वर्शिप एक्ट पर निर्णय देना चाहिए। देश में संभव जैसे कई स्थान है, जहां आजाद के बाद सनातन धर्म के चिह्नों को जमीन में दफन कर दिया गया। कश्मीर घाटी में तो आज भी हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। देश की इस जमीनी हकीकत को अखिलेश यादव और ममता बनर्जी जैसे नेताओं को समझनी चाहिए। यह माना कि अखिलेश और ममता का एक वोट बैंक है, लेकिन ऐसे नेताओं को हिंदू समुदाय के हितों का भी ख्याल रखना चाहिए। जहां तक हिंदू समुदाय की प्रवृत्ति का सवाल है तो सनातन संस्कृति दूसरे धर्म के लोगों का सम्मान करने की सीख देती है। यही वजह है कि भारत में मुस्लिम समुदाय सम्मान और समृद्धि के साथ रह रहा है। इसके विपरीत मुस्लिम देशों में खुद मुसलमानों की स्थिति देखी जा सकती है।राहुल की टी शर्ट का रंग बदला:राजनीति के बदलते रंग में लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी अपनी टी शर्ट का रंग बदल लिया है। पिछले दो वर्षों से राहुल गांधी सफेद रंग की टी शर्ट पहन रहे है, लेकिन विगत कुछ दिनों से राहुल गांधी नीले रंग की टी शर्ट में नजर आ रहे है। नीले रंग को अंबेडकर वादियों का प्रतीक माना जाता है। कांग्रेस देश भर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अधूरे बयान को लेकर धरना प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस का आरोप है कि शाह ने राज्यसभा में संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर को अपमानित करने वाला बयान दिया है। 23 दिसंबर को राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में एक दलित परिवार के पीड़ित सदस्यों से मुलाकात की तब भी नीले रंग की टी शर्ट पहन रखी थी। S.P.MITTAL BLOGGER (24-12-2024)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511

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