राहुल जी! चीन में डेवलपमेंट के लिए मस्जिद को भी हटा दिया जाता है। और भारत में संसद में स्वीकृत कानून के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर बैठ जाते हैं। चीन जैसी तानाशाही होती तो भारत में विपक्ष के नेता देश के विरोध में एक शब्द भी नहीं बोल पाते।
3 फरवरी को लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर भारत की तुलना चीन से की। राहुल ने कहा कि चीन के मुकाबले में भारत बहुत पीछे है। राहुल ने चीन और भारत की उत्पादन शक्ति के बारे में भी बताया। यहां तक कहा कि भारत में जो मोबाइल फोन तैयार होते हैं, उनमें पुर्जे चीन के ही है। राहुल ने कहा कि चीन की सेना ने लद्दाख सीमा पर भारत की चार हजार किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर रखा है। यूं तो राहुल गांधी लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता के साथ साथ प्रतिपक्ष के नेता के पद पर भी है, लेकिन 3 फरवरी को राहुल गांधी ने लोकसभा में चीन के प्रवक्ता के तौर पर भाषण दिया। निसंदेह औद्योगिक विकास में चीन आज दुनिया में दूसरे नंबर पर है। लेकिन राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि चीन एक तानाशाह और भारत एक लोकतांत्रिक देश है। चीन में विपक्ष नाम की कोई संस्था अथवा राजनीतिक दल नहीं है। कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता के खिलाफ जो बोलता है उसे या तो मौत के घाट उतार दिया जाता है या फिर बेमियादी अवधि के लिए जेल में। कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के तानाशाह पूर्ण रवैए के कारण ही चीन ने तिब्बत जैसे राज्य को हड़प लिया है। चूंकि चीन में देश के खिलाफ बोलने की इजाजत नहीं है, इसलिए डेवलपमेंट के लिए मस्जिद तक को हटा दिया जाता है। चीन के जिंग जियांग प्रांत में मुस्लिम आबादी पर अत्याचार किसी से छिपे नहीं है। इसके विपरीत भारत में जब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को संसद से मंजूरी मिल जाती है, तब भी दिल्ली में हजारों लोग सड़कों पर धरना देने बैठ जाते हैं। इन धरनार्थियों के समर्थन में कांग्रेस के नेता भी सामने आ जाते हैं। राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी बोलने का अधिकार है। जबकि चीन में कोई भी नागरिक अपने देश के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल सकता। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ही राहुल गांधी देश की सुरक्षा और विदेश के मामलों में भी गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे है। भारतीय सेना के अधिकारियों ने कई बार कहा कि चीन ने हमारी भूमि पर कब्जा नहीं किया, लेकिन इसके बाद भी राहुल गांधी कब्जे की बात कहते हैं। असल में कब्जा तो 1962 में चीन ने तब किया था, तब राहुल गांधी की दादी श्रीमती इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे। राहुल गांधी का यह कहना कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा का निमंत्रण लेने के लिए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका गए थे, पूरी तरह बचकाना बयान है। राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि आज अमेरिका ही नहीं दुनिया के अन्य देश भारत की ताकत को स्वीकारते हैं। इसलिए युद्ध के समय अफगानिस्तान, यूक्रेन, बांग्लादेश आदि देशों से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के बीच तो दोस्ताना संबंध है।
S.P.MITTAL BLOGGER (04-02-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511