अजमेर के दो विधानसभा क्षेत्र में एक दिन में चार नाबालिग लड़कियां मोबाइल के कारण बलात्कार की शिकार हुई। मोबाइल के कारण ही पुष्कर की आफरीन को आत्महत्या करनी पड़ी। आखिर नाबालिगों को मोबाइल क्यों दिया जाता है?

राजस्थान में 200 और देश में हजारों विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन मैं अजमेर के सिर्फ दो विधानसभा क्षेत्रों में एक दिन में चार नाबालिग लड़कियों के साथ हुए बलात्कार की घटनाओं का उल्लेख कर रहा हंू। यह चारों घटनाएं 27 मई 2025 के अखबारों में प्रकाशित हुई है। गंभीर और चिंताजनक बात यह है कि चारों नाबालिग लड़कियां अपने मोबाइल के कारण बलात्कार की शिकार हुई। चारों के अभिभावकों ने पुलिस में जो रिपोर्ट लिखाई उसके अनुसार साथी युवक ने मोबाइल से अश्लील फोटो और वीडियो बनाए और फिर बलात्कार करता रहा। अजमेर के गेगल थाना क्षेत्र की 17 वर्षीय छात्रा का आरोप रहा कि स्कूल में पढ़ने वाले जूनियर छात्र ने गांव के बाड़े में ही एक बार बलात्कार किया  और फिर अश्लील वीडियो के माध्यम से तीन माह तक दुष्कर्म करता रहा। नाबालिग लड़की को मोबाइल भी आरोपी युवक ने ही दिया। पुलिस के अनुसार लड़का लड़की दोनों नाबालिग है। पुष्कर थाने पर दर्ज कराई रिपोर्ट के अनुसार हनुमान सिंह रावत ने एक नाबालिग छात्र का स्नान करते हुए अश्लील वीडियो बनाया और फिर एक साल तक ब्लैकमेल किया। नसीराबाद पुलिस स्टेशन पर दर्ज रिपोर्ट के अनुसार जयपुर के युवक योगेश पथरिया ने पहले नाबालिग छात्रा से दोस्ती की और फिर अश्लील वीडियो बनाकर बलात्कार किया। पुष्कर के निकट लीला सेवड़ी की रहने वाली 17 वर्षीय नाबालिग ने 26 मई को पुष्कर घाटी स्थित सांझी छत पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में आफरीन ने अपने मंगेतर साहिब को लिखा है कि उसने अपने मोबाइल पर किसी अन्य युवक से चैट नहीं की। पुलिस का मानना है कि साहिल को शक था कि नाबालिग का सगाई के बाद भी किसी अन्य युवक के साथ बात करती है। यानी नाबालिग की मौत का कारण भी मोबाइल ही रहा। जब एक दिन में मात्र दो विधानसभा क्षेत्रों में मोबाइल के कारण चार चार नाबालिग लड़कियां दुष्कर्म की शिकार हो रही है तो फिर राजस्थान और देश की भयावह स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। चारों मामले में मोबाइल की बुराइयां ही सामने आई है। सवाल उठता है कि नाबालिग लड़के लड़की को आखिर मोबाइल क्यों दिया जाता है? कुछ लोग कह सकते हैं कि नई शिक्षा के कारण मोबाइल देना जरूरी है। सवाल उठता है कि जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं है, क्या वे पढ़ाई नहीं कर रहे। असल में अब स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के पास मोबाइल होना एक फैशन हो गया है। गंभीर बात तो यह है कि यह बीमारी ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच गई है गांव की स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा को भी मोबाइल चाहिए। जो माता पिता स्वयं को प्रगतिशील मानते हैं वे माने या नहीं, लेकिन नाबालिग छात्र-छात्राओं के पास मोबाइल होने का मतलब है हाथ में जिंदा बम होना। कई घरों में तो देखा गया है कि माता पिता खुद भी मोबाइल का जरूरत से ज्यादा उपयोग करते हैं। अब समय आ गया है, जो बच्चों को खासकर लड़कियों को मोबाइल से दूर करने की जरूरत है। अजमेर के दो विधानसभा क्षेत्र में एक दिन के बलात्कार के आंकड़े बताते हैं कि यदि मोबाइल से सावधानी नहीं बरती गई तो हालात बहुत गंभीर होंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-05-2025)
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