ईरान- इजरायल युद्ध भडक़ने से हमास हिजबुल्ला जैसे चरमपंथी संगठनों का मकसद पूरा हुआ। तो क्या अमेरिका ने इजरायल को अधर में छोड़ दिया है? रूस और चीन की मदद के चलते ईरान को अब नियंत्रण में करना आसान नहीं।
11 जून से शुरू हुआ इजरायल और ईरान के बीच का युद्ध अब और भडक़ गया है। ईरान और इजरायल में जमीनी दूरी 2500 और हवाई दूरी एक हजार किलोमीटर है, लेकिन फिर भी एक दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन हमले करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जिस इजरायल को अब तक सुरक्षित माना जाता था उसे काफी नुकसना हो गया है। इस युद्ध के भडक़ने से हमास हिजबुल्ला जैसे चरमपंथी संगठनों का मकसद पूरा हो गया है। मध्य पूर्व में ऐसे चरमपंथी संगठन लाख कोशिश के बाद भी इजरायल को नुकसान नहीं पहुंचा पा रहे थे। गत वर्ष हमास ने इजरायल पर जो हमला किया उसके बाद में इजरायल ने गाजा पटटी को अपने नियंत्रण में ले लिया है, लेकिन ईरान के हमले से इजरायल को काफी नुकसान हो रहा है। इजरायल जितना कमजोर होगा, उतने ही हमास और हिजबुल्ला जैसे संगठन मजबूत होंगे। कहा जा सकता है कि ईरान, हमास और हिजबुल्ला जैसे चरमपंथी संगठनों को ही लड़ाई लड़ रहा है। सब जानते हैं कि इजरायल की आबादी मात्र 90 लाख लोगों की है, लेकिन इजरायल इजरायल ने चरमपंथी संगठनों के साथ साथ आसपास के मुस्लिम देशों को भी नियंत्रित कर रखा था। लेकिन अब जब ईरान ने इजरायल पर हमला किया है तो मौजूदा समय में इजरायल को काफी नुकसान हो रहा है। भले ही इस युद्ध में ईरान को भी काफी नुकसान हुआ हो, लेकिन मध्य पूर्व में इजरायल का नुकसान अमेरिका के लिए बहुत मायने रखता है। सवाल यह भी है कि क्या अमेरिका ने इजरायल को अधर में छोड़ दिया है? एक और ईरान की मिसाइलें इजरायल को नुकसान पहुंचा रही है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि इस युद्ध में अमेरिका की भूमिका जुलाई के प्रथम सप्ताह में तय की जाएगी। यानी अभी अकेले इजरायल ही ईरान से मुकाबला करेगा। जबकि इजरायल, अमेरिका की मदद के बगैर ईरान जैसे ताकतवर देश से मुकाबला नहीं कर सकता है। इजरायल ने परमाणु हथियार नष्ट करने की आड़ लेकर ईरान पर जो हमला किया उसके पीछे भी अमेरिका को ही सुरक्षित करना था। अमेरिका नहीं चाहता है कि ईरान परमाणु संपन्न देश बने। इसलिए इजरायल से हमला करवाया गया। माना जा रहा है कि चीन और रूस की ईरान को सीधी मदद के कारण ही अमेरिका पीछे हट रहा है। अमेरिका को लगता है कि यदि इस युद्ध में उसने इजरायल की मदद की उस का मुकाबला ईरान से नहीं बल्कि रूस और चीन से होगा। ईरान में परमाणु रिएक्टर केंद्रों पर रूस के 200 नागरिक काम कर रहे हैं। इसी प्रकार युद्ध शुरू होने के साथ ही चीन ने बड़ी मात्रा में हथियार ईरान पहुंचा दिए है। रूस और चीन की मदद से ही ईरान एक हजार किलोमीटर की हवाई दूरी के बाद भी इजरायल पर हमले कर रहा है। मौजूदा समय में देखा जाए तो ईरान को नियंत्रण में करना अब आसान नहीं है।
S.P.MITTAL BLOGGER (21-06-2025)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9166157932To Contact- 9829071511