अंता में निर्दलीय नरेश मीणा को भाजपा से मात्र 128 वोट कम मिले। – अंता की हार का भजन सरकार पर कोई असर नहीं। यह हार तो वसुंधरा राजे के खाते में जाएगी। – कांग्रेस के बजाए अंता में प्रमोद जैन भाया की जीत है।
राजस्थान के अंता विधानसभा के उपचुनाव का परिणाम 14 नवम्बर को आ गया। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया ने 15 हजार 594 मतों से जीत हासिल की है। भाया को 69 हजार 462 वोट मिले, जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के मोरपात सुमन को 53 हजार 868 वोट मिले, वही निर्दलीय नरेश मीना ने 53 हजार 740 वोट प्राप्त किए। यानि मीणा ने भाजपा कि सुमन से मात्र 128 वोट कम प्राप्त किए। चुनाव नतीजे घोषित होने के साथ ही कहा जा रहा है कि इसका असर राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर पड़ेगा। वही जानकारों का कहना है कि इस हार का असर भजन सरकार पर नहीं पड़ेगा क्योंकि गत 2 वर्षाे में जो 8 उपचुनाव हुए, उनमें से भाजपा ने 5 पर जीत हासिल की है। अंता में कांग्रेस की दूसरी जीत है। वैसे भी अंता की जीत का श्रेय कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया को जाता है। हालांकि चुनाव में भाया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए लेकिन अंता की जनता ने ऐसे सभी आरोपों को नकार दिया। असल में अंता में भाया की छवि एक समाजसेवी की है। गौ शालाओं का संचालन हो या फिर धार्मिक आयोजन। सभी में भाया की भागीदारी रहती है। सामूहिक विवाह के आयोजन करवा कर भाया ने अपनी लोकप्रियता को और बढ़ाया है। नतीजों के बाद कांग्रेस के बड़े नेता भले ही अपनी पीठ थपथपा रहे हो। लेकिन अंता की जीत भाया की लोकप्रियता की जीत है। जहां तक भाजपा की हार का सवाल है तो इसकी जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की होगी। राजे की पसन्द के कारण ही मोरपाल सुमन को उम्मीदवार बनाया गया। राजे के पुत्र और क्षेत्र के सांसद दुष्यंत सिंह ही चुनाव प्रभारी रहे। खुद राजे ने डेरा डालकर चुनाव रणनीति बनायी। राजे की रणनीति का ही परिणाम रहा कि किरोड़ीलाल मीना, मदन दिलावर, हीरालाल नागर जैसे मंत्री प्रचार के लिए अंता नहीं है। इतना ही नहीं कि अंता के विधायक रह चुके पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी ने भी भाजपा के पक्ष में प्रचार नहीं किया। कहा जा रहा है कि इन नेताओं को प्रचार से दूर रखा गया। भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल का भी प्रचार के लिए नहीं आना चर्चा का विषय बना हुआ है। मुख्य मंत्री भजनलाल शर्मा ने राजे के साथ दो बार रोड़ शो तो किया लेकिन चुनाव की पूरी रणनीति वसुन्धरा राजे के पास ही रही। अंता चुनाव में नरेश मीणा की उम्मीदवारी भी खास रही। मतगणना के 20 चक्र में से 15 में नरेश मीणा दूसरे नम्बर पर रहे। यानि अंता का उपचुनाव निर्दलीय नरेश मीणा और कांग्रेस के बीच रहा। 53 हजार से भी ज्यादा वोट लेना यह दर्शाता है कि नरेश मीणा ने पूरी मेहनत के साथ चुनाव लड़ा।

