बिहार की बंपर जीत से मोदी सरकार को और मजबूती मिलेगी। – एनडीए को 180 से ज्यादा सीटें और महागठबंधन 40 पर सिमटा। – वोट चोरी का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी तो विदेश में बैठे है।

14 नवम्बर को बिहार विधानसभा के जो चुनाव नतीजे सामने आए है उनमें भाजपा और जेडीयू गठबंधन वाले एमडीए को 180 से ज्यादा सीटें मिली है, जबकि कांग्रेस और आरजेडी का महागठबंधन 40 सीटों पर सिमट गया है। बिहार के कुल 243 सीटों के परिणाम सामने आए है। बिहार की बम्पर जीत से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार को और मजबूती मिलेगी। बिहार की जेडीयू के समर्थन से ही केन्द्र में मोदी सरकार चल रही है। विधानसभा का चुनाव भी नीतिश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने मिलकर लड़ा था। प्रचार के दौरान विपक्षी नेताओं की और से कहा गया कि बिहार में महागठबंधन की जीत के बाद केन्द्र की मोदी सरकार पर भी असर पड़ेगा। यहां तक कहा गया कि नीतिश कुमार अपनी पार्टी का समर्थन वापस ले लेगें, लेकिन ऐसी उम्मीदों पर चुनाव नतीजों ने पानी फेर दिया है। भाजपा और जेडीयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने 101 में से 90 सीटों पर जीत हासिल की जबकि जेडीयू ने 80 सीटों पर। यह जीत दर्शाती है कि भाजपा और जेडीयू ने मिलकर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा। एनडीए में शामिल चिराग पासवान (रामविलास पासवान के पुत्र) के नेतृत्व वाली लोक जन शक्ति पार्टी ने भी जबरदस्त प्रदर्शन किया। एलजेपी ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा और 22 सीटें जीती। इससे चिराग पासवान को भी जबरदस्त मजबूती मिली है। एलजेपी ने लोकसभा चुनाव में भी 5 सीटों पर चुनाव लड़ा और पांचों पर जीत हासिल की। कहा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में बिहार से महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो गया है। जिन तेजस्वी यादव ने स्वयं को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया था उनकी आरजेडी को मात्र 28 सीटें मिली है। बिहार में सबसे ज्यादा दुर्गति कांग्रेस की हुई है। कांग्रेस ने 60 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस को मात्र 4 सीटें ही मिल पायी है। 2020 के चुनाव में कांग्रेस को 19 सीटें मिली थी। यानि कांग्रेस को पिछली बार से भी कम सीटें मिली है। इसी प्रकार आरजेडी के पास पहले 75 सीटें थी, लेकिन इस बार आरजेडी को मात्र 28 सीटों पर ही जीत मिली है। चुनाव के दौरान जिन सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रचार किया। उन सभी सीटों पर भाजपा, जेडीयू और एलजेपी के उम्मीदवारों की जीत हुई। वही जिन सीटों पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने प्रचार किया वहां हार का सामना करना पड़ा। भले ही चुनाव नतीजों में भाजपा को सीटें ज्यादा मिली हो। लेकिन जेडीयू के नीतिश कुमार का मुख्यमंत्री बनना तय है। असल में भाजपा को कई सीटों पर नीतिश कुमार के कारण ही जीत मिली है। इसी प्रकार जेडीए के उम्मीदवारों को नरेंद्र मोदी के कारण जीत मिली। यह 10वीं बार होगा जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री की शाखा लेंगें। गत 20 वर्षों में एक वर्ष को छोड़कर नीतिश कुमार ही बिहार के मुख्य मंत्री रहे। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए नीतिश कुमार ने एक बार तो आरजेडी से भी गठबंधन कर लिया था।

 राहुल गांधी विदेश में :-

14 नवम्बर जब बिहार के चुनाव नतीजे सामने आए तब कांग्रेस के नेता और वोट चोरी का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी विदेश दौरे पर रहे। राहुल गांधी के विदेश जाने को लेकर कांग्रेस में भी चर्चाये हो रही है। देश में जब एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम होते है तब अधिकांश अक्सरों पर राहुल गांधी विदेश चले जाते है। बिहार चुनाव की हार पर विपक्ष के नेता चुनाव आयोग और ईवीएम पर ठीकरा फोड़ रहे है।




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