इक बंगला बने न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा। के.एल. सहगल का 88 साल पुराना यह गीत आज भी राजस्थान के मुख्य सचिवों पर चरितार्थ हो रहा है। नव नियुक्त मुख्य सचिव वी.श्रीनिवास के पास दिल्ली में भी सरकारी बंगला बना रहेगा। नरेंद्र मोदी ने पूर्व मुख्यमंत्री के नाते गांधी नगर में सरकारी बंगला नहीं लिया है।

1937 में बनी फिल्म प्रेसीडेंट में गायक के.एल. सहगल ने बंगले के महत्व को लेकर एक गीत गाया इस गीत के बोल है, इक बंगला बने न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा, सोने का हो बंगला, चंदन का हो जंगला। आज 88 साल बाद भी सहगल का यह गीत राजस्थान में नियुक्त होने वाले मुख्य सचिवों पर चरितार्थ हो रहा है। राजस्थान के मुख्य सचिव को जयपुर में आलीशान बंगला मिलता है, लेकिन अधिकांश मुख्य सचिव देश की राजधानी दिल्ली में भी सरकारी बंगला लेने के लिए दिल्ली स्थित मुख्य आवासीय आयुक्त का अतिरिक्त चार्ज भी अपने पास रखते हैं। 17 नवंबर को वी. श्रीनिवास ने जयपुर आकर राजस्थान के मुख्य सचिव का पदभार संभाल लिया है। इससे पहले श्रीनिवास केंद्र सरकार में केंद्रीय प्रशासनिक सुधार, लोक शिकायत और पेंशन विभाग के सचिव थे। इस नाते श्रीनिवास के पास दिल्ली में भी सरकारी बंगला रहा। दिल्ली का सरकारी बंगला खाली न करना पड़े, इसलिए श्रीनिवास ने मुख्य सचिव के पद के साथ-साथ राजस्थान राज्य माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड के अध्यक्ष और मुख्य आवासीय आयुक्त का पद भी अपने पास रखा है। दो अतिरिक्त पद इसलिए रखे गए है ताकि दिल्ली वाले बंगले पर कब्जा बना रहे। प्रशासनिक व्यवस्था के अनुसार केंद्र सरकार में हर राज्य के कोटे से बंगले होते हैं। यह बंगले प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले आईएएस के उपयोग में आते हैं। आमतौर पर दिल्ली में प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद जब संबंधित आईएएस वापस अपने प्रदेश के कैडर में आता है तो उसे दिल्ली वाला बंगला दो माह में खाली करना होता है। वी. श्रीनिवास राजस्थान कैडर के आईएएस है और प्रतिनियुक्ति पर ही दिल्ली गए थे। अब मुख्य सचिव बनकर वापस अपने राजस्थान कैडर में आ गए हैं,लेकिन श्रीनिवास को दिल्ली वाला बंगला खाली नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि मुख्य आवासीय आयुक्त अथवा आरएसएमएल के अध्यक्ष पद के कारण दिल्ली वाला बंगला अलॉट करवा लिया जाएगा। यानी श्रीनिवास के पास दिल्ली और जयपुर दोनों में बंगला रहेगा। दिल्ली में बंगला बनाए रखने वाले श्रीनिवास पहले मुख्य सचिव नहीं है। निवर्तमान मुख्य सचिव सुधांश पंत ने भी दिल्ली का बंगला अपने पास बनाए रखा। जनवरी 2024 में सुधांश पंत जब राजस्थान के मुख्य सचिव बने तब वे केंद्र में स्वास्थ्य सचिव थे। स्वास्थ्य सचिव की हैसियत से दिल्ली में मिले बंगले को खाली न करना पड़े, इसलिए सुधांश पंत ने भी दिल्ली स्थित मुख्य आवासीय आयुक्त का पद  अपने पास रखा। पंत 22 माह तक राजस्थान के मुख्य सचिव रहे, लेकिन उनके पास केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की हैसियत वाला दिल्ली का बंगला भी रहा। अब जब सुधांश पंत की दिल्ली में कैबिनेट सचिवालय में विशेषाधिकारी के पद पर नियुक्ति हो गई है, तब उन्हें नए बंगले की तलाश नहीं करनी पड़ेगी। देश का कोई भी आईएएस हो वह अपने हिसाब से सरकारी बंगले और सुविधाओं का जुगाड़ कर ही लेता है। भले ही ऐसे अधिकारी की कितनी भी स्वच्छ छवि हो। हालांकि मुख्य सचिव स्तर के आईएएस के लिए एक बंगला कोई मायने नहीं रखता है, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली के न्यू मोती बाग क्षेत्र में सरकारी बंगला मायने रखता है। इससे आईएएस का रौब प्रदर्शित होता है। नायक के.एल.सहगल ने तो अंग्रेजी हुकूमत के समय इक बंगला बने न्यारा वाला गीत गाया था। तब सरकारी बंगले का अलग ही महत्व रहा होगा, क्योंकि तब सरकारी बंगलों में अंग्रेज अफसर ही रहते होंगे। 

मोदी को नहीं मोह:
संभवत: नरेंद्र मोदी देश के एक मात्र पूर्व मुख्यमंत्री होंगे जिन्होंने गुजरात के गांधी नगर में सरकारी बंगला नहीं लिया होगा। आमतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रदेश की राजधानी में सरकारी बंगला हासिल कर ही लेते हैं। यह सही है कि नरेंद्र मोदी ने अपनी वृद्ध माता जी के लिए विधायकों वाला एक फ्लैट जरूर लिया था। नरेंद्र मोदी देश के ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनके पास अपना कोई निजी आवास नहीं है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-11-2025)
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