ऐसे तो मोदी सरकार की छवि खराब हो रही है। बुजुर्ग पेंशनरों को खाने पड़ रहे हैं धक्के। =

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ऐसा प्रतीत होता है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने बदलाव के लिए जो सकारात्मक कदम उठाए हैं। उस पर बिगड़ी सरकारी व्यवस्था पानी फेर रही है। अब तक रिटायर्ड कर्मचारियों और अन्य कारणों से जिन बुजुर्गों को पेंशन मिल रही थी, उन्हें प्रति वर्ष नवम्बर माह में अपनी संबंधित बैंक में उपस्थित होकर जीवत होने का सबूत देना होता था। इसके लिए बैंक एक फार्म भरवाता था। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आदेशों को बताकर बैंक वालों ने बुजुर्ग पेंशनर का जीवत प्रमाण पत्र लेने से इंकार कर दिया। बैंक वालों का कहना रहा कि कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय में जाकर ही जीवत प्रमाण पत्र देना होगा। बुजुर्ग पेंशनर जब इस कार्यालय में पहुंचे तो अनेक बुजुर्ग के अंगुलियों के निशान आधार कार्ड से नहीं मिले। जो पेंशनर बीमार और चलने में अपाहिज हंै, उन्हें भी अजमेर में इस दफ्तर के धक्के खाने पड़ रहे हैं। भीड़ होने की वजह से बुजुर्ग को लाइन में घंटों खड़े रहना पड़ रहा है। जिन पेंशनरों के अंगुलियों के निशान मिल रहे हैं, वे तो भाग्यशाली है, लेकिन जिन पेंशनरों के निशान नहीं मिल रहे, उन पर तो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। ऐसे पेंशनरों को अपनी बैंक में जाकर अधिकारियों से जीवित होने का प्रमाण पत्र लाना पड़ रहा है। बैंक वाले बड़ी परेशानी से प्रमाण पत्र दे रहे हैं। कई बार तो बुजुर्ग पेंशनर को ईपीएफ दफ्तर और बैंक के बीच कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। जद्दोजहद के बाद बैंक से प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद पेंशनर को किसी ई-मित्र पर जाना होता है। यहां आधार कार्ड के लिए फिर से अंगुलियों के निशान देने पड़ते हैं। हालांकि ई-मित्र पर भी बुजुर्ग व्यक्तियों के निशान मिलना मुश्किल हो रहा है। ई-मित्र संचालक जो प्रिंट देते हैं, उसे ईपीएफ कार्यालय में जमा करवाया जा रहा है। ईपीएफ कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि अब भी पेंशन मिलेगी या नहीं इसके बारे में हम कुछ नहीं कह सकते। हम तो वो ही कर रहे हैं जो नरेन्द्र मोदी की सरकार कह रही है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि 70 से90 वर्ष की उम्र वाले पेंशनरों को खासकर महिलाओं को कितनी परेशानी हो रही होगी। नरेन्द्र मोदी चाहे तो देश के किसी भी शहर में ऐसे पेंशनरों की परेशानी का पता लगा सकते हैं। समझ में नहीं आता कि बुजुर्ग पेंशनरों के लिए इस व्यवस्था को क्यों लागू किया गया है? पेंशनरों को तो पहले से ही बैंक के जरिए भुगतान हो रहा है। सभी के बैंक खाते भी आधार कार्ड से लिंक हैं। सरकार में बैठे लोग माने या नहीं इसमें मोदी सरकार की छवि खराब हो रही है। ईपीएफ दफ्तर से लेकर बैंक और ई-मित्र केन्द्र तक बुजुर्ग के आंसू पूछने वाला कोई नहीं है। पीएम नरेन्द्र मोदी कई बार कह चुके हैं कि भाजपा के नेताओं और कार्याकर्ताओं को जनता के बीच जाना चाहिए,लेकिन अजमेर में भाजपा का एक भी कार्यकर्ता बुजुर्गों की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है।
(एस.पी.मित्तल) (26-12-16)
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