तो तीन साल जेल में क्यों रहना पड़ा बाबूलाल नागर को? रेप के केस में बरी।
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30 जनवरी को जयपुर की एक अदालत ने राजस्थान के पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर को रेप के मुकदमे में निर्दोंष मानते हुए बरी कर दिया। पीडि़ता ने नागर पर रेप का आरोप वर्ष 2013 में तब लगाया था, जब नागर कांग्रेस सरकार में मंत्री थे। तब सीएम अशोक गहलोत ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई से जांच की मांग स्वयं पीडि़ता ने की थी। सीबीआई ने जो जांच रिपोर्ट अदालत में पेश की, उसी के आधार पर नागर निर्दोंष पाए गए। सीबीआई ने नागर को अक्टूबर 2013 में गिरफ्तार किया था और तभी से नागर जयपुर की सेन्ट्रल जेल में बंद हंै। इस बीच नागर ने जमानत के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन नागर जेल से बाहर नहीं आ सके। नागर को तीन साल चार माह जेल में रहना पड़ा। अब अदालत का कहना है कि नागर निर्दोंष है। सवाल अदालत के फैसले पर नहीं है, लेकिन यह सवाल तो है ही कि यदि नागर निर्दोंष थे, तो फिर उन्हें तीन साल तक जेल में क्यों रहना पड़ा? क्या यह हमारी न्यायिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा नहीं करता? हालांकि पीडि़ता का कहना है कि उसे जयपुर की अदालत से न्याय नहीं मिला है, इसलिए वह हाईकोर्ट में अपील करेगी। अच्छा हो की अदालतों में मुकदमों का फैसला जल्द हो, ताकि दोषी व्यक्ति को ही जेल में रहना पड़े।
(एस.पी.मित्तल) (30-01-17)
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