तो निम्बार्क पीठ की विरासत सही और मजबूत हाथों में है। आचार्य श्यामशरण महाराज ने बिखेरा आध्यात्म का तेज।
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तो निम्बार्क पीठ की विरासत सही और मजबूत हाथों में है। आचार्य श्यामशरण महाराज ने बिखेरा आध्यात्म का तेज।
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अजमेर जिले के सलेमाबाद स्थित निम्बार्क सम्प्रदाय की जगदगुरु शंकराचार्य की आचार्य पीठ की मान्यता सम्पूर्ण देश में है। गत 14 जनवरी को आचार्य राधा सर्वेश्वर श्रीजी महाराज के देवलोकगमन के बाद युवावार्य श्यामशरण महाराज ने आचार्य का पद संभाला। इस पदाभिषेक के अवसर पर सलेमाबाद में 1 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु एकत्रित हुए। मैं तभी से नए आचार्य जगदगुरु श्यामशरण महाराज से मिलने का इच्छुक था। संभवत: मेरे मन की भावना आचार्य श्री तक आध्यात्म के मार्ग से पहुंची। इसलिए पीठ से जुड़े प्रसिद्ध भजन गायक अशोक तोषनीवाल का 20 फरवरी को मेरे पास फोन आया। तोषनीवाल ने बताया कि आचार्य श्यामशरण जी 21 फरवरी को अजमेर में खाईलैण्ड मार्ग स्थित निम्बार्क पीठ के मन्दिर में आरती के लिए आएंगे। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद भी देंगे। तोषनीवाल ने मुझे आदर के साथ आचार्य श्री का आशीर्वाद लेने के लिए आमंत्रित किया। मेरे लिए यह सौभाग्य की बात थी, कि मैंने मन में जो चाहा, वह पूरा होने जा रहा था। 21 फरवरी की शाम को मैंने जब नजदीक से आचार्यश्री को देखा तो मुझे अहसास हुआ कि निम्बार्क पीठ की विरासत सही और मजबूत हाथों में है। मेरे जैसे जिन लाखों श्रद्धालुओं ने राधा सर्वेश्वर महाराज को देखा है,उन्होंने हर बार यह महसूस किया कि महाराज ने निम्बार्क सम्प्रदाय में धर्म की जो गंगा बहाई, उसका कोई मुकाबला नहीं रहा। लेकिन मैंने यह महसूस किया कि श्यामशरण महाराज निम्बार्क पीठ की प्रतिष्ठा को और बढ़ाएंगे। उनके चेहरे से जो तेज और आत्मविश्वास नजर आ रहा था, वह आम श्रद्धालुओं को आध्यात्म की अनुभूति करवा रहा था। मैंने देखा है कि बड़े-बड़े संत-महात्मा, धर्मगुरु जब भीड़ से घिरे होते हैं, स्वयं ही दिशा-निर्देंश देने लग जाते हैं। लेकिन 21 फरवरी को मन्दिर परिसर में आचार्य श्यामशरण भीड़ भाड़ के माहौल में भी शांत बने रहे। उनका यह प्रयास रहा कि उनके पास आध्यात्म की जो शक्ति है, वह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे। चूंकि आचार्य बनने के बाद श्यामशरण महाराज का अजमेर में यह पहला धार्मिक आयोजन था। इसलिए मंत्री, कलेक्टर, एसपी आदि प्रमुख लोग आशीर्वाद लेने पहुंचे। इसे ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि आचार्य श्री ने मुझे भी शॉल ओंढ़ाकर आशीर्वाद दिया और मेरे उज्ज्वल भविष्य की कामना की। हालांकि पूरे समारोह में आचार्य श्री ने कोई धार्मिक प्रवचन नहीं दिया, लेकिन लोगों के हालचाल पूछकर ही अपनी विद्धता प्रकट कर दी।
(एस.पी.मित्तल) (22-02-17)
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