यूपी में भाजपा को मुसलमानों के वोट मिलने पर सवाल क्यों? ======
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यूपी में भाजपा को मुसलमानों के वोट मिलने पर सवाल क्यों?
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बसपा प्रमुख मायावती और सपा के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को अपनी पार्टी की हार से ज्यादा इस बात की चिंता है कि यूपी में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा की जीत कैसे हो गई? चुनाव परिणाम से पहले इन दोनों नेताओं का यही मानना था कि मुसलमान कभी भी भाजपा को वोट नहीं देगा। इसीलिए प्रचार के दौरान मायावती और अखिलेश ने बार-बार कहा कि भाजपा ने एक भी मुसलमान को उम्मीदवार नहीं बनाया है। यह दोनों नेता सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि देवबंद जैसे सौ प्रतिशत मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीत जाएंगे। इसलिए चुनाव परिणाम घोषित हो जाने के बाद भी यह नेता भाजपा की जीत को सही नहीं मान रहे हैं। मायावती और अखिलेश का कहना कि ईवीएम में गड़बड़ी हुई है। यानि मुसलमानों ने बसपा और सपा को वोट दिया, लेकिन ईवीएम में भाजपा उम्मीदवार को चला गया। इसलिए इन दोनों ही नेताओं ने चुनाव आयोग से जांच की मांग की है। समझ में नहीं आता कि परिणाम की घोषणा के बाद चुनाव आयोग किसकी जांच करेगा? लेकिन सवाल उठता है कि भाजपा को मुसलमानों के वोट मिलने पर सवाल क्यों उठाया जा रहा है? असल में भाजपा को सम्प्रदायिक पार्टी बताकर सपा, बसपा जैसे क्षेत्रीय दल मुसलमानों के वोट लेते रहे। लेकिन इस बार ऐसे दलों का भ्रम टूट गया। हालांकि यह भ्रम तो 2014 के लोकसभा चुनाव में ही टूट गया था। लेकिन मायावती और अखिलेश यादव का यह मानना रहा कि विधानसभा चुनाव में तो मुसलमान कभी भी भाजपा को वोट नहीं देंगे, क्योंकि मुसलमानों के सामने हमदर्द मायावती और अखिलेश यादव का चेहरा होगा। लेकिन यूपी के मुस्लिम मतदाताओं ने लोकसभा से भी ज्यादा विधानसभा में भाजपा को वोट दिए। असल में अब मुस्लिम मतदाताओं को भी लगने लगा है कि क्षेत्रीय दल सिर्फ इस्तेमाल करने के लिए ही वोट हासिल करते हैं। संभवतया भाजपा को वोट देने में मुस्लिम महिलाओं की भी सकारात्मक सोच रही है। मुस्लिम महिलाएं भले ही तीन तलाक के मुददे पर अपनी जुबान नहीं खोल सकती हों। लेकिन इस प्रथा से उन्हें भी परेशान होना पड़ता है। मायावती और अखिलेश यादव को यह समझना चाहिए कि देश दुनिया के वर्तमान माहौल में किसी भी जाति की महिला दुखी और परेशान नहीं होना चाहती। पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान दो टूक शब्दों में कहा कि तीन तलाक सामाजिक बुराई है। मुस्लिम मतदाताओं ने मोदी के इस नारे पर भी भरोसा किया, सबका साथ, सबका विकास। यूपी चुनाव के परिणाम से पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और बिहार में लालू यादव को भी सावधान हो जाना चाहिए।
(एस.पी.मित्तल) (14-03-17)
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