भारत के सूफी मुसलमान पाकिस्तान के इस रूख को समझें। खादिम आसिफ और नाजिम को बेवजह किया प्रताडि़त।
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20 मार्च को दिल्ली स्थित निजामुद्दीन ओलिया की दरगाह के खादिम आसिफ अली नियाजी और नाजिम अली नियाजी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ मुलाकात की। दोनों खादिमों ने सुषमा स्वराज का आभार जताते हुए यह माना कि यदि भारत का विदेश मंत्रालय सक्रिय भूमिका नहीं निभाता तो उनका पाकिस्तान से लौटना मुश्किल था। खादिमों ने कहा कि वे सूफी संत निजामुद्दीन ओलिया का भाईचारे का संदेश पाकिस्तान में देने गए थे। लेकिन पाकिस्तान की पुलिस ने उन्हें बेवजह प्रताडि़त किया। पाकिस्तान की मीडिया में हमें जासूस तक बता दिया। पाक पुलिस का रवैया पूरी तरह सूफीवाद के खिलाफ रहा। खादिम आसिफ और नाजिम के साथ पाकिस्तान में जो गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हुआ, उसे भारत के सूफी मुसलमानों को समझना चाहिए। असल में पाकिस्तान में ऐसे कट्टरपंथी हावी है, जो सूफी मुसलमानों को पसन्द नहीं करते हैं। पिछले दिनों अली शाहबाज कलन्दर की दरगाह में भी इसी भावना से विस्फोट कर लगभग 100 मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया गया था। आसिफ और नाजिम को भी इसलिए प्रताडि़त किया गया कि वे भारत के सूफी मुसलमान है। एक और पाकिस्तान कश्मीर के अलगाववादियों के प्रति हमदर्दी दिखाता है, दूसरी और भारत के सूफी मुसलमानों को बेवजह प्रताडि़त करता है। यह सही है कि यदि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज दखल नहीं दे तो दोनों खादिम पाकिस्तान की किसी जेल में होते।
(एस.पी.मित्तल) (20-03-17)
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