सांकेतिक धरने में तब्दील हो गया किसान संघ का महापड़ाव। कांग्रेस को नहीं मिला मौका। =
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राजस्थान में भारतीय किसान संघ का महापड़ाव सांकेतिक धरने में तब्दील हो गया है। 15 जून को संभाग मुख्यालय पर किसान संघ के महापड़ाव की शुरूआत तो हुई, लेकिन किसी भी स्थान से जाम अथवा हंगामे की खबर नहीं आई। यह सांकेतिक धरना भी अगले दो-तीन दिन में खत्म कर दिया जाएगा। असल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े किसान संघ के प्रतिनिधि मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान में कोई बखेड़ा नहीं चाहते हैं। मध्य प्रदेश में भी किसान संघ की शुरूआत के बाद ही किसानों का आंदोलन भड़का था, जिसे बाद में कांग्रेस ने हवा दी। मध्य प्रदेश की हिंसा से सबक लेते हुए किसान संघ ने राजस्थान में 15 जून से आंदोलन की शुरूआत सांकेतिक धरने से की है ताकि कांग्रेस को माहौल बिगाडऩे का कोई अवसर नहीं मिले। धरने में भी किसानों की संख्या को सीमित रखा गया है।
अजमेर के आजाद पार्क में डेरा :
भातरीय किसान संघ से जुड़े किसानों ने अजमेर के आजाद पार्क में डेरा जमाया है। पहले उम्मीद थी कि कोई दो हजार किसान एकत्रित होंगे। लेकिन महापड़ाव के पहले दिन मात्र 300 किसान ही आए जबकि यह महापड़ाव संभाग के अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा और टौंक जिला का है। महापड़ाव से सांकेतिक धरने में तब्दील हुए धरने को किसान नेता महेन्द्र सिंह मण्डोवरी, रामेश्वर प्रसाद शर्मा, रघुवीर सिंह शेखावत, रामप्रसाद कुमावत, सत्यनारायण यादव, बाबू सिंह रावत, दशरथ सिंह राठौड़ आदि ने संबोधित किया। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सत्ता परिवर्तन के तीन वर्ष बाद भी किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हआ है। सरकार को विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर किसान को राहत देनी चाहिए। बाद में संभागीय आयुक्त को दिए गए ज्ञापन में मांग की गई कि विद्युत नीति में किसानों के हित बदलाव, जीएम बीज को प्रतिबंधित, सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था, दूध उत्पादन पर अनुदान, कृषि उत्पाद का लाभकारी मूल्य आदि शीघ्र दिया जाए।
एस.पी.मित्तल) (15-06-17)
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