अजमेर पुलिस गंभीरता से ले सरवाड़ के हालातों को। हिन्दू उत्सव समिति के बेमियादी बंद को मुसलमानों का भी समर्थन। ===========
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ही समुदायों को सरवाड़ पुलिस की कार्यप्रणाली से नाराजगी है। दोनों समुदाय के प्रतिनिधियों का कहना है कि वर्ष 2011 में एक धार्मिक ग्रन्थ को जलाने की घटना की जो जांच सीआईडी सीबी ने की थी, उसके अनुरूप सरवाड़ पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की। इसलिए दो दिन पहले इमरान मंसूरी को अदालत ने जमानत पर छोड़ दिया। पुलिस ने जान-बूझकर कमजोर धाराएं लगाई। सीआईडी सीबी ने 11 माह पहले ही अपनी रिपोर्ट दे दी थी। लेकिन पुलिस इस रिपोर्ट को दबाए बैठी रही। आल मुस्लिम खिदमत समिति के प्रतिनिधियों का भी कहना है कि पुलिस ने गंभीर प्रकरण में एक-दो ही आरोपी बनाए हैं। खिदमत समिति की भी मांग है कि अन्य आरोपियों को भी मुलजिम बनाया जाए। इस संबंध में पार्षद अतीक तंवर, शमशुद्दीन कुरैशी, रईस जारोली, यासिर अंसारी आदि ने एक ज्ञापन भी दिया है। वहीं उत्सव समिति के अध्यक्ष छगन लाल रैगर, मंत्री सुरेन्द्र कक्कड़ आदि ने सरवाड़ पुलिस के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की हैं। दोनों समुदायों ने पुलिस पर माहौल बिगाडऩे का आरोप लगाया है। सब जानते हैं कि सरवाड़ कस्बा शुरू से ही संवेदनशील रहा है। यहां कई बार हिन्दु और मुसलमान आमने-सामने हुए हैं। सरवाड़ के हालातों को देखते हुए पुलिस को गंभीरता दिखानी चाहिए।
(एस.पी.मित्तल) (13-07-17)
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