तो नहीं लगा सचिन पायलट की प्रतिष्ठा को धक्का। राजस्थान से भाजपा के चारों प्रत्याशी जीते।
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तो नहीं लगा सचिन पायलट की प्रतिष्ठा को धक्का। राजस्थान से भाजपा के चारों प्रत्याशी जीते।
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11 जून को राजस्थान से राज्यसभा के लिए भाजपा के चारों प्रत्याशी विजयी घोषित किए गए हैं। भाजपा की जीत को पहले से ही तय माना जा रहा था, लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट की प्रतिष्ठा भी बच गई है। कांग्रेस ने उद्योगपति कमल मोरारका को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया था और मोरारका को 34 मत प्राप्त हो गए। इससे यह प्रतीत होता है कि कांग्रेस, बसपा, राजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों ने उम्मीद के मुताबिक मोरारका को वोट दिया हैं। कांग्रेस के विधायकों में भी सेंध लगाने में सफलता नहीं मिली है यानि पायलट ने अपनी पार्टी के विधायकों को तो एकजुट रखा ही साथ ही छोटे राजनीतिक दलों एवं निर्दलीय विधायकों के वोट भी हासिल किए। यदि कांग्रेस मोरारका की उम्मीदवारी नहीं करवाती तो भाजपा के चारों उम्मीदवार निर्विरोध जीत जाते। पायलट अब यह भी कह सकते हैं कि उन्होंने भाजपा को चुनाव लडऩे के लिए मजबूर किया।
सीएम का बढ़ेगा रूतबा:
पायलट ने भले ही भाजपा को चुनाव लडऩे के लिए मजबूर किया हो लेकिन पायलट की इस रणनीति से भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में सीएम राजे का रुतबा बढ़ेगा। विधानसभा में भाजपा के 160 विधायक हैं, लेकिन 11 जून को चुनाव के समय भाजपा के चारों उम्मीदवारों को सब कुल मिलाकर 164 मत प्राप्त हुए। डॉ. रामकुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह को 40-40 तथा वैंकेया नायडू और ओमप्रकाश माथुर को 42-42 मत प्राप्त हुए यानि वसुंधरा राजे ने अपनी रणनीति के अनुरूप चार विधायकों के अतिरिक्त मत प्राप्त किए। कहा जा रहा है कि राजे ने 6 मतों का जुगाड़ किया था लेकिन लाख कोशिश के बाद भी एक मत खारिज हो गया। फिर भी जिस तरह से भाजपा के चारों उम्मीदवार विजयी हुए हैं उससे राष्ट्रीय राजनीति में राजे का रुतबा बढ़ेगा।
नोटा का नहीं दिया प्रशिक्षण:
भाजपा ने तीन दिनों तक बाड़ा बंदी कर विधायकों को वोट डालने का अभ्यास करवाया था लेकिन इस अभ्यास में नोटा के बारे में विधायकों को कोई जानकारी नहीं दी गई। विधायकों को सिर्फ चार भाजपा व एक निर्दलीय उम्मीदवार मोरारका के बारे में ही बताया गया जबकि 11 जून को जब मत पत्र सामने आया तो नोटा का भी कॉलम था। कहा जा रहा है कि नोटा की गफलत की वजह से ही भाजपा के खेमें का एक वोट निरस्त हो गया है।
(एस.पी. मित्तल) (11-06-2016)
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