ऐसे तो बिगड़ जाएगा हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा। नूरी खान उज्जैन में तो नसीम अख्तर पुष्कर में हैं शिवभक्त।
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=======================बिहार के अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री खुर्शीद अहमद के जय श्रीराम का नारा लगाने का बवाल अभी शांत भी नहीं हुआ कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता नूरी खान के ऊं नम: शिवाय बोलने तथा उज्जैन में निकली शोभा यात्रा में भगवा कपड़े पहनने को लेकर खलबली मच गई है। मुस्लिम धर्म से जुड़े मौलवी और मौलानाओं ने नूरी खान के इस कृत्य को उचित नहीं माना है। गरीब नवाज फाउंडेशन के प्रमुख मोहम्मद अंसार रजा ने एक टीवी बहस में कहा कि यदि नूरी खान ने ऊं नम: शिवाय का जाप किया है तो यह गैर इस्लामी है। वहीं नूरी खान ने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में लिखा है कि धर्म के ठेकेदार तय नहीं करेंगे कि अच्छा हिन्दू कौन है या अच्छा मुलसमान कौन। न केसरिया तेरा है न हरा मेरा है। न भगवा रंग किसी के बाप का है, न हरा रंग। मैंने भगवा रंग भाईचारे और एकता के लिए पहना है। मेरा इस्लाम मेरे पालन का विषय है। अगर किसी अन्य धर्म के सम्मान की बात होगी तो मैं हमेशा आगे रहूंगी। मजहब बैर रखना नहीं सिखाता। नूरी खान ने अभी जो तेवर दिखाए हैं, वैसा ही रूख जय श्रीराम का नारा लगाने वाले मंत्री खुर्शीद अहमद ने प्रकट किया था। लेकिन बाद में उन्हें भी माफी मांगनी पड़ी। अभी भी खुर्शीद के निकाह पर तलवार लटकी हुई है। अब देखना है कि नूरी खान ऊं नम: शिवाय पर कब तक कायम रहती है। लेकिन हम सब को नूरी खान की इस भावना को समझना चाहिए कि उन्होंने उज्जैन की शोभायात्रा में भगवा रंग के कपड़े भाईचारे और एकता के लिए पहने। सब जानते हैं कि रमजान माह में होने वाली इफ्तार दावतों में हिन्दू पहल करते हैं। तो सावन माह में कावड़ यात्राओं और अन्य शोभा यात्रा में मुसलमानों की सकारात्मक भूमिका होती है। जो लोग राजनीति में हैं, वे तो एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों पर जाकर रस्में भी निभाते हैं। चूंकि चुनाव में हिन्दू और मुसलमान दोनों के वोट चाहिए इसलिए हिन्दू और मुस्लिम नेता धार्मिक रस्मों को लेकर कोई परहेज नहीं करते। इसी से ही समाज में हिन्दू मुस्लिम भाईचारा कायम है। यदि मुस्लिम नेताओं के हिन्दू रस्मों के निभाने पर एतराज किया गया तो फिर भाईचारा बिगड़ जाएगा। यदि उज्जैन में नूरी खान भगवा कपड़े पहन कर ऊं नम: शिवाय का उद्घोष करती हैं तो जगतपिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर में पूर्व मंत्री और कांग्रेस की नेत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ कावड़ कंधे पर लेकर यात्रा में चलती है। हाल ही में गत 22 जुलाई को तीर्थनगरी पुष्कर में जब जोगणिया धाम के उपासक गुरु भॅंवरजी के नेतृत्व में कावड़ यात्रा निकली तो नसीम अख्तर भी शामिल हुई। इस शोभायात्रा में अन्य हिन्दू महिला पुरूषों की तरह नसीम अख्तर ने भी अपने कंधे पर पुष्कर सरोवर से भरे हुए कावड़ को अपने कंधे पर रखा हुआ था। इस शोभायात्रा में माइक पर ऊं नम: शिवाय का जाप हो रहा था। ऐसा नहीं कि नसीम अख्तर ने पहली बार कावड़ यात्रा में भाग लिया। नसीम अख्तर पुष्कर से विधायक रह चुकी है। इसलिए पुष्कर के सभी धार्मिक समारोहों में शरीक होती है। गत बार जब वे प्रदेश की शिक्षा राज्य मंत्री थी तब तो किसी वीआईपी के आगमन पर पुष्कर सरोवर में हाने वाली पूजा-अर्चना में भी भाग लेती रही। पुष्कर के लोग जानते हैं कि श्रीमती नसीम अख्तर सरल और मधुर स्वभाव की है। उन्होंने कभी भी हिन्दू धर्म की रस्मों को निभाने से परहेज नहीं किया। यही वजह है कि भाजपा के शासन में पुष्कर में होने वाले धार्मिक समारोहों में भी श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ को सम्मान के साथ बुलाया जाता है। कुछ लोग जय श्रीराम, ऊं नम: शिवाय आदि को गैर इस्लामी बताए लेकिन यह भी सत्य है कि अजमेर में सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह में सूफी परंपरा के अनुरूप प्रतिदिन हजारों हिन्दू पवित्र मजार पर मखमली और फूलों की चादर पेश करते हैं। दरगाह का खादिम समुदाय भी मानता है कि आज भी बड़ी संख्या में हिन्दू समुदाय के लोग जियारत के लिए आ रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (06-08-17)
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