तो अब वसुंधरा सरकार के मंत्रियों पर होने लगे हैं हमले। कांग्रेस पर आरोप लगाने के बजाए आत्म विश्लेषण करें मंत्री-विधायक।
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29 सितम्बर की रात को राजस्थान के पीडब्ल्यूडी और परिवहन मंत्री यूनुस खान जब अपने गृह जिले नागौर के गांव छोटी खाटू से गुजर रहे थे कि तभी उनके सरकारी वाहन पर हमला किया और कार को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। इस हमले में यूनुस खान बड़ी मुश्किल से बच पाए। हमले के बाद यूनुस खान का आरोप रहा कि यह कांग्रेस की साजिश है। यूनुस खान कुछ भी कहें, लेकिन राजस्थान का राजनीतिक माहौल अभी ऐसा नहीं हुआ है, जिसमें एक दल दूसरे पर जानलेवा हमला करवावे। यूनुस खान को आरोप लगाने से पहले आत्म विश्लेषण करना चाहिए। यह आत्म विश्लेषण राज्य की भाजपा सरकार के सभी मंत्रियों और विधायकों को करना चाहिए। सत्ता के नशे में डूबे मंत्री और विधायक माने या नहीं, लेकिन उनके प्रति लोगों में नाराजगी है। यह सही है कि यूनुस खान पर हुए हमले को सही नहीं ठहराया जा सकता। हमलावरों को गिरफ्तार कर सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। लेकिन सवाल यह भी है कि आखिर प्रदेश में इतनी विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न क्यों हो रही है? जबकि नागौर तो भाजपा का गढ़ है। नागौर से यूनुस खान, अजय क्लिक जैसे मंत्री हैं तो सीआर चौधरी केन्द्र सरकार के मंत्री हैं। यूनुस खान को यह भी समझना चाहिए कि छोटी खाटू उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र डीडवाना में आता है। यदि मंत्रियों को अपने ही घर में हमले का शिकार होना पड़े तो हालातों का अंदाजा लगा लेना चाहिए।
आनंदपाल से जुड़ा हो सकता है हमलाः
मंत्री पर हमले के आरोप में पुलिस ने राजपूत समाज से जुड़े कुछ युवकों को गिरफ्तार किया है। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि हमला आनंदपाल एनकाउंटर से जुड़ा हुआ है। इस एनकाउंटर को लेकर प्रदेश भर में राजपूत समाज का जो आंदोलन हुआ उसमें नागौर ही केन्द्र बिन्दू रहा। पूरे आंदोलन में यूनुस खान की भूमिका को लेकर भी सरकार के प्रति राजपूत समाज में नाराजगी है। हालांकि इस नाराजगी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से भी अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यूनुस खान पर हमला यह बताता है कि मुख्यमंत्री के प्रयासों का समाज पर कोई असर नहीं हो रहा है।
मंत्री और विधायक आचरण सुधारेंः
भाजपा के मंत्री और विधायकों को अपने आचरण को सुधारने की जरुरत है। घमंडी आचरण की वजह से अधिकांश मंत्रियों और विधायकों के प्रति नाराजगी है। अगले वर्ष राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा के विधायकों को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में जाकर मतदाताओं के साथ सीधा संवाद करना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (30-09-17)
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