जब शराब की ब्राडिंग हो सकती है तो दूध की क्यों नहीं? देशी गाय का दूध है पौष्टिक।

#1488
image
——————————————-
भारत में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार भी यह मानती है कि देश में 68 प्रतिशत दूध दूषित है। दूषित दूध पीने से ढेर सारी बीमारियां तो होती ही हैं, साथ ही लाइलाज कैंसर जैसा रोग भी हो जाता है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ही कहा जाएगा कि जो शराब शरीर के लिए हानिकारक है। उसकी तो ब्राडिंग है, लेकिन जो दूध स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है, उसकी कोई ब्राडिंग नहीं है। हर सफेद रंग के तरल पदार्थ को दूध माना जा रहा है। देशभर की प्रसिद्ध डेयरियों का दूध भी डेनमार्क, कनाडा जैसे देशों से प्राप्त पाउडर से बनाया जा रहा है।
जो डेयरी रोजना एक लाख लीटर दूध खरीदकर बाजार में दो लाख लीटर बेचती है, उससे यह कोई पूछने वाला नहीं है कि आखिर यह अतिरिक्त एक लाख लीटर दूध आया कहां से? डेयरी को चलाने वाले जानते हैं कि एक लाख लीटर दूध हानिकारक विदेशी पाउडर से बनाया जाता है। भले ही यह पाउडर गाय के दूध से बनता हो, लेकिन सवाल यह है कि जिस गाय के दूध से पाउडर बनाया गया है क्या वह दूध पौष्टिक है? डेनमार्क, कनाडा जैसे देश भारत से ही उत्तर किस्म की नस्ल की गायों को ले गए और फिर सुअर की प्रजाति वाले पशु से क्रॉस करवाकर गाय के दूध की क्षमता को बढ़ा दिया। आज जो जर्सी गाय ज्यादा दूध देती है, उसका कारण सुअर की प्रजाति वाले पशु से गर्भवती होना है। यही वजह है कि भारत में 68 प्रतिशत दूध जहरीला है।
इसलिए जरूरी है दूध की ब्राडिंग:
असल में गीर नस्ल की देशी गाय का दूध शुद्ध है, लेकिन इस गाय का दूध महंगा होता है। असल में देशी गाय की उम्र औसतन 20 वर्ष मानी गई है और उसकी गर्भवती होने और दूध देने की प्रक्रिया कोई 16 महीने की है। देशी गाय गर्भधारण के 9 माह बाद बच्चे को जन्म देती है और बच्चे के जन्म के बाद मुश्किल से 6 माह ही दूध दे पाती है। दोबारा गर्भवती होने के बीच के समय में गाय पालकों को बिना दूध के चारा खिलाना होता है। लेकिन बाजार में देशी गाय और जर्सी गाय के दूध में कोई फक्र नहीं होता, इसलिए व्यवसाय की दृष्टि से पशुपालक भी देशी के बजाए जर्सी गाय पालता है। इसलिए यह बात अब जोर पकड़ रही है कि दूध की ब्राडिंग होनी चाहिए। जो जर्सी गाय का दूध जहरीला है और देशी गाय का जो दूध अमृत है उसमें फर्क होना ही चाहिए। शराबी जब दुकान पर जाकर बोतल खरीदता है तो बड़े शान से ब्रांड बताता है, लेकिन जब डेयरी या दुकान पर जाकर दूध खरीदता है तो कोई ब्रांड नहीं बताता। सवाल उठता है कि शराब खरीदते वक्त तो दो हजार रुपए के ब्रांड वाली बोतल चुपचाप खरीद ली जाती है और दूध खरीदते वक्त यह ध्यान नहीं रखा जाता कि दूध पौष्टिक है या जहरीला। यदि देशी गाय के दूध को ब्रांड मानकर खरीदा जाए तो फिर पौष्टिक और जहरीले दूध में फर्क हो सकता है। जो लोग गौ माता के संरक्षण की बात करते हैं उनका भी यह दायित्व है कि देशी गाय के दूध की ब्राडिंग की हो। यदि देशी गाय का दूध 100 रुपए लीटर भी मिले तो उसे खरीदना चाहिए। उपभोक्ता के लिए 100 रुपए लीटर दूध खरीदना कोईघाटे का सौदा नहीं होगा। यह बात दावे के साथ लिखी जा रही है कि देशी गाय के दूध का उपयोग करने के बाद परिवार के किसी भी सदस्य को बीमारी पर एक रुपया भी खर्च नहीं होगा। दूध से जो मलाई प्राप्त होगी उससे देशी घी भी बनाया जा सकता है। यानि देशी घी बाजार से नहीं खरीदना पड़ेगा।
अजमेर में देखा जा सकता है देशी गाय का पालन:
देशी गाय के पालन और संरक्षण के लिए समाजसेवी रामनारायण सिंह महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे है। सिंह ने निकटवर्ती छोटी होकरा गांव में सुरभि ऑरर्गेनिक फार्म बना रखा है। इस फार्म में गाय के चारे से लेकर अन्य कार्य तक ऑरर्गेनिक पद्धति से तैयार होते हैं। इच्छुक व्यक्ति सिंह के मोबाइल नम्बर 9414004319 और 9414644320 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
नोट- फोटोज मेरी वेबसाइट www.spmittal.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें।

(एस.पी. मित्तल) (24-06-2016)
(www.spmittal.in) M-09829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...