कांग्रेस में सीएम के मुद्दे को लेकर भ्रम तो खुद अशोक गहलोत फैला रहे हैं? अब कटारिया के बयान को अतिउत्साह वाला बताया।
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31 जुलाई को राजस्थान के पूर्व सीएम स्वर्गीय मोहनलाल सुखाड़िया की जयंती के मौके पर जयपुर में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोति समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत भी उपस्थित रहे। तीन दिन पहले गहलोत ने उदयपुर में कहा था कि राजस्थान की जनता ने 10 वर्षों तक मेरा चेहरा देखा है, अब किस चेहरे की तलाश है? गहलोत ने यह प्रतिक्रिया राजस्थान में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद को लेकर दी। लेकिन 31 जुलाई को गहलोत ने कहा कि मीडिया के एक वर्ग ने उनके उदयपुर वाले बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया। गहलोत ने कहा कि कौन क्या कर रहा है, जिसकी उन्हें सब जानकारी है। कांग्रेस में सीएम पद को लेकर कोई विवाद नहीं है। यह माना कि गहलोत दस वर्ष तक प्रदेश के सीएम रहे हैं और उनकी लोकप्रियता आज भी है। यही वजह है कि कांग्रेस हाईकमान भी गहलोत के महत्व को समझता है। हाईकमान को भी लगता है कि गहलोत के बिना राजस्थान में कांग्रेस की वापसी संभव नहीं है। इसलिए गहलोत को राजस्थान में लगातार सक्रिय कर रखा है। लेकिन जहां तक सीएम पद को लेकर विवाद का सवाल है तो गहलोत के बयान ही भ्रम की स्थिति उत्पन्न करते हैं। 31 जुलाई को ही गहलोत ने फिर दोहराया कि प्रदेश की जनता ने 10 वर्षों तक एक चेहरा देखा है। इतना ही नहीं गहलोत ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री लालचंद कटारिया के बयान को अतिउत्साह वाला बता कर मामले को खत्म करने की बात कही। जबकि प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने कटारिया के बयान को संगठन के साथ गद्दारी करना कहा था। कटारिया ने कहा था कि यह अशोक गहलोत को विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया तो राजस्थान में कांग्रेस की जीत नहीं होगी। कटारिया का यह बयान पांडे को गद्दारी वाला और गहलोत को अतिउत्साह वाला नजर आता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के आंतरिक हालात कैसे हैं। इस समय प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर सचिन पायलट हैं और पायलट के राजनीतिक रुतबे के बारे में सब जानते हैं। पिछले चार वर्षों से पायलट के नेतृत्व में ही प्रदेश भर के कार्यकर्ता आंदोलन आदि कर रहे हैं। ऐसे में किसी भी कांग्रेस नेता की हिम्मत नहीं कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई टिप्पणी करे। लेकिन गहलोत अकेले एक मात्र नेता है जो लगातार टिप्पणियां कर रहे हैं। पायलट जब कहते हैं कि चार वर्ष पहले उन्होंने तब अध्यक्ष का पद संभाला, जब प्रदेश में कांगे्रस के मात्र 21 विधायक थे और अब अधिकांश उपचुनावों में कांग्रेस की जीत हुई है तो गहलोत का कहना रहता है कि कोई एक व्यक्ति संगठन को नहीं चला सकता। गहलोत माने या नहीं लेकिन हर बार उन्हीं के बयानों से विवाद उत्पन्न होता है। कांग्रेस में यह विवाद तब हो रहे है, जब हाल के उपचुनाव में सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में कांगे्रस की जीत हुई है।