अलवर-भरतपुर के एक लाख ईंट भट्टा श्रमिक बेरोजगार आखिर वसुंधरा सरकार कब सुनेगी।
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केन्द्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश से राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिलों में संचालित कोई 350 ईंट भट्टे गत 30 जून से बंद पड़े हैं। इन भट्टों पर कोई एक लाख श्रमिक कार्यरत थे। अब इन श्रमिकों के परिवारों के समक्ष भूखे मरने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। असल में बोर्ड ने सम्पूर्ण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ईंट भट्टों पर रोक लगाई है। बोर्ड का मानना है कि ईंट भट्टों से जो धुआ निकलता है। वह दिल्ली के नागरिकों के लिए जानलेवा होता है। चूंकि लोकतंत्र में अफसरशही लकीर के फकीर होते हैं। इसलिए दिल्ली से 250 किलोमीटर दूर अलवर भरतपुर में लगे ईंट भट्टे भी बंद करवा दिए, जबकि दिल्ली से 70 किलोमीटर दूर यूपी के अनेक जिलो में ईंट भट्टे धड़ल्ले से चल रहे हैं। असल में अलवर-भरतपुर एनसीआर में शामिल है,जबकि दिल्ली से 70 किलोमीटर दूर यूपी के शामिल नहीं है। केन्द्रीय पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों को इतनी भी समझ नहीं है कि 250 किलोमीटर दूर पर चल रहे भट्टों का धुआ दिल्ली में कैसे आएगा? और 70 किलोमीटर दूर चल रहे भट्टों का धुआ दिल्ली आने से कैसे रुकेगा? ईंट भट्टों के प्रतिनिधियों ने कई बार बोर्ड के अधिकारियों को समझाया है, लेकिन एक लाख श्रमिकों की सुनने वाला कोई नहीं है।
सरकार कब लेगी सुधः
अलवर और भरतपुर ईंट भट्टा श्रमिकों को एनसीआर में शामिल होने का दंड भुगतना पड़ रहा है। इस समय राजस्थान और केन्द्र में भी भाजपा की सरकार है। कायदे से अलवर और भरतपुर के ईंट भट्टा को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश से मुक्त रखा जाना चाहिए। लेकिन वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने अभी तक भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है। यदि इस मुद्दे को राजनीतिक स्तर पर दिल्ली में मजबूती के साथ उठाया जाए तो एक लाख श्रमिकों को राहत मिल सकती है। राजस्थान ने चार माह बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव जीतने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गौरव यात्रा भी निकाल रही हैं। यह यात्रा अलवर भरतपुर भी आएगी। इस यात्रा को ध्यान में रखते हुए ही सरकार ईंट भट्टा श्रमिकों को राहत दिलवानी चाहिए। इस संबंध में और अधिक जानकारी श्रमिकों के प्रतिनिधि नरेश शर्मा से मोबाइल नम्बर 9982490211 पर ली जा सकती है।