एनआरसी पर ममता बनर्जी इतनी आग बबूला क्यों?
तो क्या वाकई हो जाएगा गृह युद्ध?
अमितशाह को लगातार दूसरे दिन भी बोलने नहीं दिया।
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1 अगस्त को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य सभा में असम के ताजा मुद्दे पर भाजपा का पक्ष रखने की कोशिश की, तो टीएमसी के सांसदों ने होहल्ला कर शाह को बोलने नहीं दिया। ऐसा ही हल्ला 31 जुलाई को भी किया था। यानि अमितशाह को लगातार दूसरे दिन भी संसद में बोलने नहीं दिया गया। हंगामा इतना बड़ा की 1 अगस्त को राज्यसभा को 2 अगस्त तक के लिए स्थगित करना पड़ा। इधर, टीएमसी के सांसद संसद में हल्ला करते रहे तो उधर, टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवानी से मुलाकात की। ममता कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से भी मिल रही हैं। असल में असम में नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजन (एनआरसी) की जो कार्यवाही हुई है उससे सबसे ज्यादा ममता बनर्जी ही घबराई हुई है। ममता को लगता है कि ऐसी कार्यवाही पश्चिम बंगाल में भी हो सकती है। यही वजह है कि ममता ने इस मुद्दे पर गृहयुद्ध तक की धमकी दे दी है। आने वाले दिनों में ममता का क्या रुख रहता है यह तो वो ही जाने लेकिन आज देश के जो हालात हैं उन्हें अच्छे नहीं माने जा सकते। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि देश एक बार फिर हिन्दू और मुसलमान में बंट रहा है। विपक्षी दलों की ओर से कहा जा रहा है कि भाजपा मुसलमानों को देश से बाहर निकालना चाहती है। इसलिए एनआरसी की कार्यवाही कर असम के चालीस लाख लोगों की नागरिकता पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया है। इन चालीस लाख लोगों में अधिकांश बंगलादेश से आए घुसपैठिए बताए जाते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने कहा भी है कि घुसपैठियों को भारत की नागरिकता नहीं दी जा सकती। अमितशाह का यह भी कहना रहा कि एनआरसी का निर्णय 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने लिया था। तब इसके लिए असम के नेता प्रफुल्ल महंतो से एक लिखित समझौता भी किया गया। यह बात अलग है कि 1985 के बाद से इस समझौते पर अमल नहीं हुआ। अभी भी एनआरसी की जो कार्यवाही हो रही है वह सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत एक जनहित याचिका पर है। इस याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट निगरानी कर रहा है। कोर्ट ने भी साफ कहा है कि नागरिकता की जो सूची जारी की गई है, उसे अस्थाई माना गया है। इस सूची के आधार पर किसी भी नागरिक के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होगी। यानि जिन नागरिकों के नाम एनआरसी में नहीं है उनके विरुद्ध फिलहाल कोई कार्यवाही नहीं होगी। सवाल यही है कि जब किसी भी अवैध नागरिक के विरुद्ध फिलहाल कोई कार्यवाही नहीं हो रही है तो फिर ममता बनर्जी और उनके समर्थक इतने नाराज क्यों है। सब जानते है। कि जब पाकिस्तान ने अपने पूर्वी पाकिस्तान (बंगलादेश) के नागरिकों पर अत्याचार किए तो बड़ी संख्या में मुसलमान भारत में आ गए। अभी भी यह आरोप लगते रहे हैं कि बंगलादेश से बड़ी संख्या में घुसपैठिए भारत में आ रहे हैं। विपक्ष दलों का अपना ऐजंडा हो सकता है, लेकिन इस मुद्दे पर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना चाहिए।