मजदूर राधे के खाते खंगाले जाएंगे। अजमेर में 20 बीघा भूमि खरीदने के लिए कहां से आई राशि। भगवंत यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चर कोर्सेज पर भी सवाल।
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आयकर विभाग की बेनामी सम्पत्ति निषेध यूनिट ने अजमेर में चाचियावास क्षेत्र में भगवंत यूनिवर्सिटी के सामने जो 20 बीघा भूमि जब्त की है, उसमें अब खरीददार मजदूर राधे खटीक के बैंक खाते की भी जांच पड़ताल होगी। राधे यूपी के बुलंदशहर के निकट असनावली गांव का रहने वाला है। आयकर विभाग की अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि अजमेर में जमीन खरीदने से पहले राधे ने बुलंदशहर और अन्य स्थानों की कुछ जमीनों को बेचा है। आयकर विभाग अब यह भी जांच करेगा कि मजदूरी का काम करने वाले राधे ने पूर्व में जमीनों को किस प्रकार खरीदा। आयकर विभाग का भी मानना है कि राधे के पीछे प्रभावशाली लोग हैं जो राधे के नाम पर करोड़ों रुपए की जमीनों का कारोबार करते हैं। चूंकि राधे की बीस बीघा भूमि अजमेर में भगवंत यूनिवर्सिटी के भवन के सामने है, इसलिए सभी पहलुओं पर जांच हो रही है। हालांकि अभी भगवंत यूनिवर्सिटी के किसी व्यक्ति का नाम सामने नहीं आया है। लेकिन यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर से जुड़े अनेक कोर्सेज चल रहे हैं। जो भूमि राधे ने वर्ष 2006 में खरीदी, उसका उपयोग भी कृषि कोर्सेज के लिए होना बताया जा रहा है। भगवंत यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर में बीएससी, बीटेक, पीएचडी आदि की डिग्री दी जाती है। यूजीसी की टीम समय समय पर यूनिवर्सिटी में उपलब्ध सुविधाओं की जांच पड़ताल करती है। सरकार को कई ऐसी शिकायतें मिलती है कि प्राइवेट यूनिवर्सिटी के पास निर्धारित कृषि भूमि नहीं होती है, लेकिन फिर भी ऐसे संस्थान एग्रीकल्चर के कोर्सेज करवाते है। इस संबंध में पिछले दिनों ही सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया है। किसी भी यूनिवर्सिटी को एग्रीकल्चर कोर्सेज के लिए सेंट्रल एग्रीकल्चर एंड रिसर्च कौंसिल आॅफ इंडिया से अनुमति लेनी होती है। देश में ऐसी कई प्राइवेट यूनिवर्सिटी हैं जिन्होंने इस कौंसिल से अनुमति नहीं ले रखी है। जबकि ऐसी यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर कोर्सेज की डिग्री देने के नाम पर करोड़ों रुपए कमा रही है। राजस्थान में सरकारी स्तर पर उदयपुर, बीकानेर, जोबनेर व सांगरिया में एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी चल रही है।