लाख बुराईयों के बाद भी मीडिया का महत्व है। सीबीएसई के अजमेर कार्यालय में हुई कार्यशाला।
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केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अजमेर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय मंे 28 अगस्त को पत्रकारिता के महत्व पर एक कार्यशाला हुई। इस कार्यशाला में बोर्ड की ओर से मुझे मुख्य वक्ता के तौर पर बुलाया गया। चूंकि मैं ही एक मात्र मुख्यवक्ता था, इसलिए दीप प्रज्ज्वलन और स्वागत के बाद कार्यक्रम की संचालक श्रीमती संदीपा माथुर ने बोलने के लिए मुझे ही आमंत्रित कर लिया। बोर्ड के उपसचिव आरआर मीणा, पूनम रानी, सुख दयाल सिंह, संजीव कुमार शर्मा, मोहन जुरान, आसिफ अली आदि की उपस्थिति में कार्यालय का अधिकांश स्टाफ मौजूद रहा। मुझे इस बात का आभास था कि समाचारों में रुचि रखने वाले लोग पत्रकारिता के बारे में क्या सोचते हैं। इसलिए मैंने बिना कोई भूमिका अथवा पत्रकारिता के इतिहास के बारे में कहने के बजाए यह सच्चाई स्वीकार कर ली कि अब पत्रकारिता भी व्यवसायिकता हो गई है। अखबार अथवा न्यूज चैनल एक उत्पाद हो गए हैं। जिस तरह एक व्यापारी अपने उत्पाद से अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहता है। उसी प्रकार मीडिया घराने के मालिक भी करते हैं। बात अब सरकार से रियायती दर पर जमीन लेने की ही नहीं, बल्कि विज्ञापनों के लिए पत्रकारिता का मोल तोल किया जाता है। अब तो मीडिया में औद्योगिक घरानों ने सीधे तौर पर प्रवेश कर लिया है। जब अखबार और न्यूज चैनल उत्पाद बनकर रह गए हैं, तब जागरुक पाठकों को ही पत्रकारिता की तलाश करनी होगी। जब पांच रुपए के अखबार के साथ 15 करोड़ के ईनाम बांटे जा रहे हों तो फिर पाठक को भी अपनी ललचाई नजर के बारे में सोचाना होगा। हालात इतने खराब हैं कि न्यूज चैनलों पर आधा आधा घंटे के विज्ञापन फीचर प्रसारित होते हैं तथा अखबार वाले तो मेले ठेले तक लगाने लगे हैं। अखबार के प्रभाव से सरकारी उद्यान आदि सस्ती दर पर किराए पर लेकर आम रास्ते की सड़क तक को पार्किंग के लिए ठेके पर दे दिया जाता है। मालिकों के इन हथकंडों में जो पत्रकार सहयोग करता है तो ही मीडिया में काम कर सकता है। इस सच का कार्यशाला में उपस्थित सभी ने स्वागत किया, लेकिन फिर भी जागरुक पाठकों का कहना रहा कि पत्रकारिता जिंदा रहनी चाहिए। मैं भी इस बात से सहमत था कि पत्रकारिता जिंदा रहनी चाहिए। इसलिए मैंने कहा कि लाख बुराईयों के बाद भी पत्रकारिता का महत्व है। भले ही मीडिया का व्यावसायिक करण हो गया हो, लेकिन मीडिया में हमें सूचनाओं से अवगत रखता है। न्यूज चैनल हमें जहां लाख प्रोग्राम दिखाते हैं, वहीं अखबार भी अपने शहर की नवीनतम घटनाओं से अवगत करवाते हैं। हर व्यक्ति को लगता है कि अखबार में खबर छप जाने से समस्या का समाधान हो जाएगा।
सोशल मीडिया का भी महत्वः
प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के साथ-साथ अब सोशल मीडिया का भी महत्व हो गया है। जो पत्रकार मीडिया घरानों में काम नहीं कर पा रहे हैं वो सोशल मीडिया के जरिए अपने विचार रख रहे हैं। अब पाठक भी जागरुक हो गया है। पाठक स्वयं भी फोटो आदि खींच कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है। खबरों की दुनिया में सोशल मीडिया का महत्व तेजी से बढ़ा है, इसलिए प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया वाले भी सोशल मीडिया के अनेक प्लेट फार्मों का उपयोग करने को मजबूर हैं। कुल मिला कर कार्यशाला में सभी ने माना कि पत्रकारिता का अपना महत्व है।