तो सीधे अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को चुनौती है। काॅम्प्लेक्सों को गलत तरीके से मंजूरी के मामले में अफसरों पर गिर सकती है गाज।
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अजमेर नगर निगम के आयुक्त हिमांशु गुप्ता (आईएएस) ने शहर के 13 काॅमर्शियल काॅम्प्लेक्सों की स्वीकृति के मामले में जो सख्त कार्यवाही करवाई है, वह सीधे मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को चुनौती है। आयुक्त का आरोप है कि उनके अवकाश पर होने से काॅम्प्लेक्सों के नक्शे गलत तरीके से स्वीकृत कर दिए, जबकि मेयर गहलोत का कहना है कि एक बार स्वीकृति जारी होने के बाद नक्शों को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि यह मुद्दा जनहित से जुड़ा है। वहीं जानकारों की माने तो स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक पवन अरोड़ा ने निगम की एम्पावर्ड कमेटी के फैसले पर रोक लगाने से पहले स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी से सहमति ली है। अरोड़ा को भी पता है कि निगम में भाजपा का मेयर है, इसलिए वे अपने स्तर पर इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकते थे। अब इस मामले में तो वो ही होगा, जो कृपलानी चाहेंगे। अरोड़ा द्वारा रोक लगाया जाना, इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि एम्पावर्ड कमेटी ने विवादित नक्शों को तब मंजूरी दी थी, जब आयुक्त गुप्ता ने नक्शों की स्वीकृति को निरस्त कर दिया था। यानि एम्पावर्ड कमेटी ने अपने ही आयुक्त के आदेश को पलट दिया। ऐसा तभी संभव था जब मेयर की सहमति थी। यही वजह रही कि आयुक्त ने अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए नक्शों की क्रियान्विति का मामला राज्य सरकार को भिजवा दिया। चूंकि सरकार ने सभी 13 प्रकरणों के दस्तावेज तलब कर रोक लगा दी है। इसलिए इसे मेयर को चुनौती देना माना जा रहा है। फिलहाल आयुक्त गुप्ता का तबादला होना मुश्किल है। नक्शों का यह मामला आयुक्त और मेयर की प्रतिष्ठा से भी जुड़ गया है।
अफसरों पर हो सकती है कार्यवाहीः
जो लोग नगर निगम से नक्शे स्वीकृत करवाते हैं उन्हें पता है कि स्वीकृति की प्रक्रिया कितनी जटिल है। ऐसा नहीं हो सकता कि आयुक्त एक-दो दिन की छुट्टी पर चले जाएं, तो पीछे से उपायुक्त नक्शों को स्वीकृत कर दें। यदि ऐसा संभव हो तो आयुक्त उपायुक्त आदि के अवकाश पर होने इंजीनियर नक्शा स्वीकृत कर दें। 13 काॅमर्शियल नक्शों को उपायुक्त से मंजूर करवाने में योजनाबद्ध तरीके से काम किया गया होगा। ऐसे सभी नक्शों की स्वीकृति निगम के तत्कालीन उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता द्वारा जारी की गई है। आयुक्त के अवकाश के दौरान रलावता ने काॅमर्शियल काॅम्प्लेक्सों को मंजूर करने की जोखिम क्यों ली यह तो वे ही बता सकते हैं। इस संबंध में आयुक्त गुप्ता का कहना है कि रलावता ने न केवल अपने अधिकारों से परे जाकर कार्य किया, बल्कि त्रुटिपूर्ण नक्शों को स्वीकृत किया है। यह बात जांच में भी सामने आई है। ऐसे निगम के उन कार्मिकों के विरुद्ध कार्यवाही हो सकती है जिन्होंने आयुक्त के छुट्टी पर होने के दिन मौके का फायदा उठा लिया।
इन काॅम्प्लेक्सों पर लगी रोकः
सरकार ने अब केसरगंज स्थित विजय कुमार की पत्नी पूनम, शिव कुमार की पत्नी ईश्वरी देवी, मयंक खंडेलवाल, धानमंडी स्थित नंदलाल, महावीर सर्किल स्थित सुनील सेठी, ब्ल्यूकेसल स्थित रमेश हेलवानी, पुरानी मंडी स्थित अनूप कुवेरा, रामगंज स्थित ललित गुप्ता, पुलिस लाइन स्थित भगवान सिंह चैहान, लोहागल स्थित नारायण दास, डिग्गी बाजार में आशा देवी जादम, सोनी जी की नसिया के सामने उमराव कंवर तथा रामगंज स्थित ओम प्रकाश माहेश्वरी के काॅमर्शियल काॅम्प्लेक्सों के निर्माण पर रोक लगा दी है।