अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से जातीय आंकड़े अपने-अपने नजरिए से। कांग्रेस से महेन्द्र सिंह रलावता और भाजपा से शिवशंकर हेड़ा ने गंभीरता के साथ दावेदारी जताई।
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चूंकि अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र सामान्य वर्ग के लिए है, इसलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मंत्री और पिछले कई वर्षों से विधायक बनने का सपना देख महेन्द्र सिहं रलावता और अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष व भाजपा के पूर्व अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने अपनी-अपनी पार्टी में पूर्ण गंभीरता के साथ उत्तर क्षेत्र से अपनी दावेदारी जताई है। इसके लिए दोनों अपने-अपने स्तर पर प्रयास भी कर रहे हैं। हालांकि रलावता और हेड़ा की तरह अन्य नेताओं ने तैयारी की है, लेकिन रलावता की एप्रोच सीधे सचिन पायलट से है तो वहीं हेड़ा को सीएम वसुंधरा राजे का संरक्षण प्राप्त है, इसलिए इन दोनों की दावेदारी के खास मायने हैं। जानकारों की माने तो दोनांे ने अपने अपने नजरिए से प्रदेश नेतृत्व को अजमेर उत्तर के जातीय आंकड़े बताए हैं। इन आंकड़ों में सिंधी मतदाताओं की संख्या अधिकतम 25 हजार आंकी गई है, जबकि राजपूत और रावणा राजपूत तथा वैश्य समाज के मतदाताओं की संख्या में काफी अंतर है। रलावता का खेमा राजपूत और रावणा राजपूत मतदाताओं की संख्या 40 हजार मानता है, वहीं वैश्य समाज की संख्या 25 हजार मानी जा रही है। इसी प्रकार हेड़ा का खेमा कोई 60 हजार वैश्य मतदाता मानता है, लेकिन राजपूत और रावणा राजपूत की संख्या 20 हजार आंकी जा रही है। शेष जातियों के आंकड़े दोनों के समान से हैं। इनमें मुसलमान 20 हजार, एससीएसटी 25 हजार, ब्राह्मण 20 हजार, रावत 10 हजार, माली 8 हजार, गुर्जर 6 हजार, कायस्थ 5 हजार, ईसाई 6 हजार आदि हैं। तेली, कुमावत, जांगिड़ आदि जातियों के मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं। चूंकि पहले चरण में जातीय आंकड़े मायने रखेंगे, इसलिए रलावता और हेड़ा के समर्थक अपने-अपने प्रदेश नेतृत्व को यह भी बता रहे हैं कि अजमेर उत्तर में 28 वार्ड हैं, इनमें से सिर्फ एक वार्ड में सिंधी पार्षद है। रलावता के समर्थकों का तो साफ कहना है कि हाल के छात्र संघ चुनाव में एमडीएस यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष पद पर एनएसयूआई ने सिंधी उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन उसे मात्र 24 मत मिले। वर्ष 2008 में इस क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती मात्र 628 मतों से पराजित हुए, जबकि 2003 में तो नरेन शाहनी ही कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर हारे थे। किशन मोटवानी को छोड़ कर कोई भी कांग्रेसी इस विधानसभा क्षेत्र में सफल नहीं हुआ है। मोटवानी भी तब सफल रहे, जब अजमेर शहर पूर्व और पश्चिम में विभाजित था 2008 के परिसीमन के बाद तो हालात बिल्कुल ही बदल गए हैं। अब सिंधी मतदाताओं की ज्यादा संख्या अजमेर दक्षिण में हो गई है। साथ ही पुष्कर विधानसभा के कई गांव उत्तर में शामिल हो गए हैं। इसी प्रकार दक्षिण के कई वार्ड उत्तर में आ गए हैं। यानि इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पूरी तरह बदल गई है।
किशनानी और तेजवानी की भी गणितः
भाजपा की ओर प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य कंवल प्रकाश किशनानी और कांग्रेस की ओर वरिष्ठ पत्रकार गिरधर तेजवानी ने भी दावेदारी जताई है। इन दोनों के समर्थकों का आंकलन है कि उत्तर क्षेत्र में सिंधी मतदाताओं की संख्या 25 हजार से 30 हजार के बीच है और सिंधी समुदाय के मतदाता ही निर्णायक भूमिका में हैं। वहीं इस क्षेत्र से भाजपा के विधायक वासुदेव देवनानी लगातार चैथी बार अपना दावा जता रहे हैं, जबकि दीपक हासानी कांग्रेस का टिकिट हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। प्रचार प्रसार की दौड़ में देवनानी और हासानी ही अपने-अपने दल में आगे हैं। लेकिन ये दोनों भी हेड़ा और रलावता की दावेदारी से चिंतित है। अग्रवाल समाज के पूर्व अध्यक्ष शैलेन्द्र अग्रवाल, दिलीप सामतानी ने कांग्रेस का उम्मीदवार बनने के लिए आवेदन किया है। वहीं एडवोकेट सैय्यद वाहिद चिश्ती भी दावेदार हैं। इसी प्रकार भाजपा की ओर से गजवीर सिंह चूंडावत ने भी उत्तर क्षेत्र से अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। गजवीर का भी मानना है कि राजपूत समाज का उम्मीदवार उत्तर क्षेत्र से आसानी से जीत सकता है। गजवीर इस समय भाजपा के चुनाव प्रकोष्ठ के संयोजक हैं तथा केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पास गजवीर की सीधी एप्रोच है।
हासानी के खिलाफ ज्ञापनः
13 अक्टूबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव निजामुद्दीन काजी के अजमेर आगमन पर कांग्रेस के कार्यकर्ताआंे ने उन्हें एक ज्ञापन दिया। इस ज्ञापन में अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से दीपक हासानी की उम्मीदवारी का विरोध जताया गया। ज्ञापन देने वालों में कांग्रेस के कार्यकर्ता बलराम शर्मा, रवि शर्मा, अजय कृष्ण तेंगोर, राजेन्द्र नरचल, राजेन्द्र वर्मा, राजनारायण आसोपा आदि शामिल थे। इस अवसर पर ब्लाॅक अध्यक्ष इमरान सिद्दीकी भी उपस्थित रहे।