किशनगढ में जाट समुदाय की फूट पर टिकी है सुरेश टांक की जीत।
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मार्बल नगरी के नाम से देश भर में विख्यात किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में चुनाव रोचक होगा। भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार विकास च ौधरी के सामने बागी सुरेश टांक हैं तो कांग्रेस के उम्मीदवार नंदाराम धाकण के सामने पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया ने ताल ठोक दी है। किशनगढ़ में दो लाख 63 हजार मतदाता हैं और इसमें से करीब 70 हजार मतदाता जाट समुदाय के माने जाते हैं। इसीलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ने जाट उम्मीदवार बनाए हैं। राजनीतिक दलों की इस परंपरा को तोड़ने के लिए ही भाजपा की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य रहे सुरेश टांक ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनौती दी है। टांक किशनगढ़ नगर परिषद के सभापति रहे चुके हैं और देश की सबसे बड़ी किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। ऐसे में पूरे विधानसभा क्षेत्र में टांक की पहचान है। लेकिन टांक की जीत जाट समुदाय की फूट पर निर्भर है। यदि जाट समुदाय के वोट कांगे्रस-भाजपा के जाट उम्मीदवारों के साथ-साथ कांग्रेस के बागी सिनोदिया के बीच बंट जाते हैं तो फिर टांक स्वयं की जीत को आसान मानते हैं। आमतौर पर जाट समुदाय को राजनीतिक दृष्टि से समझदार माना जाता है। अजमेर की राजनीति में स्वर्गीय सांवरलाल जाट और नाथूराम सिनोदिया भले ही भाजपा और कांग्रेस के नेता रहे, लेकिन दोनों नेता कभी भी आमने सामने नहीं हुए। इस एक जुटता का ही नतीजा है कि रामचन्द्र च ौधरी पिछले 25 वर्षों से अजमेर डेयरी के अध्यक्ष पद पर काबिज हैं। किशनगढ़ से लगातार यह सोच प्रबल हो रही है कि जाट समुदाय की फूट का लाभ किसी अन्य को नहीं मिलना चाहिए। यही वजह है कि किशनगढ़ को जाट नेता, एक जाजम पर बैठाने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ जाट नेताओं का तर्क है कि भाजपा ने अजमेर जिले की 8 में से दो सीटों पर जाट उम्मीदवार उतारे हैं ऐसे में जाटों की एकता भाजपा के काम आनी चाहिए। लेकिन वहीं कुछ जाट नेता निर्दलीय उम्मीदवार सिनोदिया के पक्ष में हैं। ऐसे नेताओं का तर्क है कि हर परिस्थिति में भी सिनोदिया जाट समुदाय के साथ खड़े रहे। सिनोदिया ने कांग्रेस विधायक के तौर पर दो बार किशनगढ़ का प्रतिनिधित्व किया है। कांगे्रस के उम्मीदवार धाकड़ को राजनीति में लाने वाले सिनोदिया ही है। इसलिए जाट समुदाय की एकता सिनोदिया के काम आनी चाहिए। कांग्रेस उम्मीदवार धाकण के पेरोकार कमजोर और कम नजर आ रहे हैं। यदि जाट एकता भाजपा और सिनोदिया के बीच बांटी रही तो फिर इसका लाभ टांक को मिलेगा। वहीं भाजपा उम्मीदवार च ौधरी के पक्ष में सक्रिय युवा वर्ग का दावा है कि समाज की एकता हमारे पक्ष में बनेगी। भाजपा को परंपरागत वोट की मदद से जीत हो जाएगी। हालांकि किशनगढ़ में ब्राह्मण, राजपूत, गुर्जर समाज के वोट भी अच्छी संख्या में हैं। साथ ही एससी वर्ग के वोट निर्णायक स्थिति में है। जाट समुदाय के मतों को लेकर टांक के समर्थकों का कहना है कि सुरेश टांक को किशनगढ़ की जनता ने उम्मीदवार बनाया है। इसलिए किसी जाति विशेष की बात नहीं है। किशनगढ़ के लोगों के साथ जो राजनीतिक अन्याय हुआ है, उसका बदला इस चुनाव में लिया जाएगा। मार्बल एसोसिएशन के माध्यम से भी टांक ने सम्पूर्ण विधानसभा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। टांक को शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी समर्थन मिल रहा है। हालांकि भाजपा के मौजूदा विधायक भागीरथ च ौधरी टिकिट कटने से शुरू से ही नजर आ रहे हैं। लेकिन उनकी उपस्थिति कितनी गंभीर है इसका पता 11 दिसम्बर को परिणाम वाले दिन चलेगा। भाजपा उम्मीदवार के साथ किशनगढ़ का युवा वर्ग जुड़ा हुआ है, जो सोशल मीडिया पर व्यापक प्रचार कर रहा है।