अजमेर जिले में सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर।
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राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट टोंक विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन पायलट की प्रतिष्ठा अजमेर जिले की आठों विधानसभा सीटों पर भी लगी हुई है। यह प्रतिष्ठा प्रदेश अध्यक्ष के नाते नहीं बल्कि अजमेर निर्वाचन क्षेत्र होने की वजह से पायलट के लिए राजनीतिक दृष्टि से बहुत मायने रखता है। अन्य जिलों में भले ही कांग्रेस के दूसरे नेताओं की राय भी मांगी गई है। लेकिन अजमेर में अकेले पायलट की सिफारिश पर कांग्रेस उम्मीदवार तय हुए हैं। पायलट अजमेर से सांसद रह चुके हैं। लोकसभा का उपचुनाव जीतने के लिए पायलट ने अजमेर में पूरा दम लगा दिया है। रघु शर्मा की जीत का पायलट अपनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं। पायलट अजमेर को लेकर कितने गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 30 नवबर को पायलट ने अजमेर देहात के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में सभा की और अब 3 दिसम्बर को अजमेर शहर की दोनों सीटों के लिए आमसभा कर रहे हैं। यानि आठों क्षेत्रों में पायलट ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। पायलट को लगता है कि जिस प्रकार उपचुनाव में आठों क्षेत्रों में कांगे्रस ने बढ़त हासिल की, उसी प्रकार विधानसभा चुनाव में आठों सीटों पर कांग्रेस की जीत होगी। किशनगढ़ में नाथूराम सिनोदिया जैसे कांग्रेस नेता को दर किनार कर नंदाराम धाकण को उम्मीदवार बनाया, इससे प्रतीत होता है कि पायलट जिले में अपने प्रभाव को लेकर आश्वस्त हैं। इसी प्रकार पुष्कर से श्रीमती नसीम अख्तर और मसूदा से राकेश पारीक की उम्मीदवारी यह बताती है कि पायलट की प्रतिष्ठा किस प्रकार से दांव पर लगी है। जानकारों की माने तो पुष्कर और मसूदा के उम्मीदवारों को लेकर केन्द्रीय संसदीय बोर्ड में भी ऐतराज हुआ था, लेकिन पायलट ने दावे से कहा कि इन दोनों सीटों पर भी कांग्रेस की जीत होगी। यदि जिले में किसी क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार पराजित होता है तो इसकी जिम्मेदारी भी पायलट की ही मानी जाएगी।