महाराणा प्रताप को महान बताने में राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा को झिझक क्यों

महाराणा प्रताप को महान बताने में राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा को झिझक क्यों ? गुजरात में स्कूलों में यस सर की जगह जय हिन्द पर भी बेवजह का विवाद। 
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राजस्थान में 17 दिसम्बर से कांग्रेस का राज कायम हो गया। यह राज भाजपा से छीना गया, इसलिए कई क्षेत्रों में विवाद की आशंका पहले से ही व्यक्त की जा रही थी। 31 दिसम्बर को जब पत्रकारों ने प्रदेश के नए स्कूली शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा से महाराणा प्रताप को महान बताने के बारे में सवाल किया तो उन्होंने अपने मुंह से महाराणा प्रताप को महान नहीं कहा। डोटासरा का कहना रहा कि इस मुद्दे पर सरकार ने एक कमेटी बना दी है। कौन महान है, इसका फैसला कमेटी ही करेगी। कमेटी की रिपोर्ट आने पर ही वे अपनी राय दे सकेंगे यानि महाराणा प्रताप महान है या नहीं, इस पर भी डोटासरा कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही कहेंगे। असल में डोटासरा के सामने असमंजस की स्थिति इसलिए हुई है कि गत भाजपा सरकार में पाठ्यक्रम में बदलाव कर मुगल बादशाह अकबर के स्थान पर महाराणा प्रताप को महान लिख दिया था। हो सकता है कि पिछली सरकार के इस बदलाव के पीछे राजनीतिक नजरिया हो, लेकिन महाराणा प्रताप के महान होने पर किसी को संशय नहीं होना चाहिए। इतिहास गवाह है कि राजस्थान में चित्तौड़ के शासक रहे महाराणा प्रताप ने कभी भी मुगल बादशाह अकबर की आधीनता स्वीकार नहीं की थी, इसका राजस्थानियों को ही नहीं बल्कि देशवासियों को भी गर्व है। यही वजह है कि आज भी महाराणा प्रताप का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। कांग्रेस के शासन में शिक्षा मंत्री डोटासरा भले ही अकबर को महान बताने वाला पाठ्यक्रम फिर से तैयार कर ले, लेकिन महाराणा प्रताप की महानता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। डोटासरा को महाराणा प्रताप को महान बताने में शर्म भी महसूस नहीं होनी चाहिए। आखिर डोटासरा उसी राजस्थानी भूमि के हैं, जहां महाराणा प्रताप जन्मे और देश के खातिर बलिदान हुए। बल्कि डोटासरा को तो महाराणा प्रताप को महान बताने में गर्व महसूस होना चाहिए। यदि महाराणा प्रताप को महान कहने के लिए भी डोटासरा सरकारी कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार करेंगे तो फिर उनकी समझ पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है। जब प्रदेश के शिक्षा मंत्री को ही महाराणा प्रताप को महान कहने में झिझक है तो फिर युवा पीढ़ी पर क्या असर होगा।
गुजरात में भी बेवजह का विवाद: 
गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने घोषणा की है कि अब सरकारी स्कूलों में उपस्थित के समय विद्यार्थी यस सर की जगह जय भारत या जय हिन्द कहेंगे। रूपाणी के इस निर्णय का भी कांग्रेस सहित अन्य विरोधी दलों के नेता विरोध कर रहे है। सवाल उठता है कि अंग्रेजों द्वारा डाली गई परम्परा को तोड़कर देशभक्ति वाली परम्परा शुरू की जा रही है तो इस पर एतराज क्यों ? यदि गुजरात की युवा पीढ़ी जय हिन्द या जय भारत बोलती है तो यह अच्छी बात है।
एस.पी.मित्तल) (01-01-19)
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