जब वोट से ही सरकार बननी है तो फिर उपलब्धि बताने पर एतराज क्यों?

जब वोट से ही सरकार बननी है तो फिर उपलब्धि बताने पर एतराज क्यों?
पीएम मोदी एंटी सैटेलाइट मिसाइल वाला संदेश टीवी पर नहीं सोशल मीडिया के प्लेट फार्म यू ट्यूब पर डाला। 
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नरेन्द्र मोदी को दोबारा से प्रधानमंत्री बनना है तो उन्हें लोकसभा के चुनाव में देश के लोगों के वोट चाहिए, जब तक देश में लोकतंत्र है तब वोट मांगने पड़ेंगे चीन जैसे देश में लोाकतंत्र नहीं है, इसलिए वहां के प्रधानमंत्री को सरकार की उपलब्धियों के सबूत भी नहीं देने होते। चीन सरकार के प्रतिनिधि ने जो कहा उसे नागरिको को सच मानना पड़ता ही है। लोकतंत्र में यदि कोई सरकार बड़ी उपलब्धि हांसिल करती है तो जनता को बताना जरूरी है, क्योंकि जनता ऐसी उपलब्धियों की वजह से वोट देती है। 27 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिाक्ष में एंटी सैटेलाइट मिसाइल की सफलता की जानकारी दी तो विपक्षी दलों को एतराज हो गया, कहा जा रहा है कि चुनाव में वोट लेने के लिए मोदी ने श्रेय लिया है। सवाल उठता है कि एंटी सैटेलाइट मिसाइल के सफल परीक्षण का श्रेय नरेन्द्र मोदी क्यों न लें? दुनिया को अचंभित करने वाला परीक्षण यदि चुनाव के दौरान हुआ है तो क्या इसे चुनाव तक रोका जाए? जब ऐसी ताकत हमारे दुश्मन चीन के पास है, तो फिर हमें भी चीन को डराने वाली ताकत के बारे में बताना ही चाहिए। सब जानते है कि हमारे वैज्ञानिकों ने वर्ष 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह से अनुमति मांगी थी, लेकिन यूपीए सरकार से अनुमति नहीं मिली। प्रधानमंत्री बनने पर मोदी ने अनुमति दे दी तो वैज्ञानिकों ने मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया। यदि मनमोहन सरकार की तरह मोदी सरकार भी अनुमति नहीं देती है तो आज भारत चीन, रूस और अमरीका के मुकाबले में आकर खड़ा नहीं हो पाता। भारत को यह उपलब्धि मिलने से अंतरिक्ष में हमारे सैटेलाइट सुरक्षित हो गए हैं। इन सैटेलाइट से हमें दुश्मन देशों की गतिविधियों के बारे में तो जानकारी होती ही है, साथ ही टीवी, मोबाइल, इंटरनेट आदि भी सुचारू संचालित होते हैं। आज हम मोबाइल और इंटरनेट के बगैर एक मिनट भी नहीं रह सकते हैं। अब किसी भी देश की हिम्मत हमारे सैटेलाइटों को देखने की नहीं होगी।
यूट्यूब पर डाला वीडियोः
विपक्ष चाहे चुनाव आयोग में शिकायत करे या फिर टीवी चैनलों की बहस में मोदी पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाए, लेकिन मोदी ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल की जानकारी देकर कोई गलत कार्य नहीं किया है। मोदी ने भले देश के प्रधानमंत्री के तौर पर दी हो, लेकिन इसमें सरकारी साधनों का उपयोग नहीं हुआ है। मोदी ने रिकाॅर्डेड वीडियो सोशल मीडिया के प्लेट फार्म यू ट्यूब पर पोस्ट किया और सभी न्यूज चैनलों ने यू ट्यूब से ही मोदी का वीडियो प्रसारित किया। यहां तक कि सरकारी दूरदर्शन ने भी इस पद्धति से मोदी का वीडियो दिखाया। यह सही है कि इस वीडियो के बारे में मोदी ने अपने ट्विटर एकाउंट पर सुबह ही जानकारी दे दी थी।
यह है राजनीतिः 
देखा जाए तो विपक्ष के नेता ही इतनी बड़ी उपलब्धि पर राजनीति कर रहे हैं। 28 मार्च को मीडिया के एक वर्ग में यह प्रसारित किया गया है कि डीआरडीओ के पूर्व चीफ विजय कुमार सारस्वत का राष्ट्रीय स्वयं संघ से संबंध रहा है। डीआरडीओ से रिटायर होने के बाद सारस्वत को नीति आयोग का सदस्य बनाया गया है। इसलिए अब सारस्वत कह रहे है कि वर्ष 2012 में यूपीए की सरकार में एंटी सैटेलाइट मिसाइल को प्रोग्राम को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दी। सवाल उठता है कि यदि एक वैज्ञानिक के तौर पर संघ के कार्यक्रमों में भाग लेते रहे तो क्या गुनाह है। क्या संघ के कार्यक्रमों में जाने के बाद सच नहीं कहना चाहिए? यदि सारस्वत संघ के कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद देशहित में भूमिका निभा रहे हैं तो यह सकारात्मक कदम है।
एस.पी.मित्तल) (28-03-19)
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