गरीब नवाज यूनिवर्सिटी के नाम पर चंदा वसूली की भी जांच हो।
दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान पर खादिम समुदाय ने लगाए गंभीर आरोप।
पठान पर क्रिकेट लीग के नाम पर धोखाधड़ी का भी आरोप।
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13 अगस्त को राजस्थान पत्रिका के प्रथम पृष्ठ पर राजस्थान हज कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान द्वारा कथित तौर पर 80 लाख रुपए की धोखाधड़ी किए जाने का समाचार प्रकाशित हुआ है। सीकर निवासी बिल्डर प्रमोद कुमार सिंघानिया ने आरोप लगाया है कि 2017 में बेहरीन में पठान ने क्रिकेट लीग करवाई थी, तब बीस लाख रुपए बैंक खाते में और साठ लाख रुपए नकद लिए थे। लेकिन पठान ने न तो रकम लौटाई और न ही कोई मुनाफा दिया। पठान राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सिंघानिया की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। पठान इन दिनों हज पर गए हुए हैं। पठान ने सिंघानिया के आरोपों को झूठा बताया है। पठान का कहना रहा कि क्रिकेट की राजनीति की वजह से उन पर आरोप लगाए गए हैं। पठान अजमेर स्थित विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में आंतरिक इंतजाम संभालने वाली कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। दरगाह कमेटी केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन संचालित होती है, चूंकि पठान केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की मिजाजपुर्सी करते हैं, इसलिए दूसरी बार भी दरगाह कमेटी के अध्यक्ष निर्वाचित हो गए। कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति केन्द्र सरकार ही करती है। दरगाह के खादिम शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती, पीर नफिस मियां चिश्ती, सैय्यद आले हुसैन, हाजी मुनव्वर अली, अब्दुल नईम खान आदि ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पत्र लिखकर गरीब नवाज यूनिवर्सिटी के नाम पर देशभर से चंदा वसूली की जांच कराने की मांग की है। पीएम को बताया गया कि अमीन पठान ने केन्द्र सरकार की दरगाह कमेटी का अध्यक्ष होते हुए भी यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्ला सोसायटी का गठन कर लिया। पठान स्वयं इस सोसायटी के अध्यक्ष बन गए। इतना ही नहीं यूनिवर्सिटी बनाने वाली इस सोसायटी ने केन्द्र सरकार की दरगाह कमेटी के साथ अनुबंध भी कर लिया। प्रधानमंत्री को बताया गया कि ख्वाजा साहब की दरगाह में आंतरिक इंतजाम करने वाली दरगाह कमेटी का संचलान दरगाह एक्ट 1956 के अंतर्गत होता है। यह एक्ट किसी भी स्थिति में प्राइवेट सोसायटी से अनुबंध करने का अधिकार नहीं देता। यह बात अपने आप में ही शक पैदा करती है कि अमीन पठान सोसायटी और दरगाह कमेटी दोनों के अध्यक्ष हैं। गरीब नवाज सोसायटी ने धन एकत्रित करने के लिए बड़े शहरों में बैठकें की। इन बैठकों में अमीन पठान दरगाह कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से उपस्थित रहे। यानि केन्द्र सरकार की दरगाह कमेटी की आड़ में प्राइवेट सोसायटी के लिए धन संग्रह किया गया। सवाल यह भी है कि कायड़ विश्राम स्थली पर दरगाह कमेटी की जो भूमि है उस पर एक प्राइवेट सोसायटी यूनिवर्सिटी का निर्माण कैसे करवा सकती है? यूनिवर्सिटी के लिए किसी भी सरकारी संस्थान से कोई अनुमति नहीं ली गई, लेकिन फिर भी यूनिवर्सिटी के भवन का शिलान्यास केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से करवाया गया। चूंकि अमीन पठान ने अपनी सोसायटी और सरकार की कमेटी का भेद खत्म कर दिया, इसलिए ख्वाजा साहब के नाम पर चंदा वसूली हो रही है। पत्र में प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया कि अमीन पठान को दरगाह कमेटी के अध्यक्ष के पद से हटा कर धनसंग्रह की जांच करवाई जाए। अल्पसंख्यक मंत्रालय और दरगाह कमेटी के उन अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए जो पठान के गैर कानूनी कार्यों में सहयोग कर रहे हैं।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग में मामला दर्ज:
गरीब नवाज सूफी मिशन सोसायटी के अध्यक्ष शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती ने बताया कि गरीब नवाज यूनिवर्सिटी के नाम पर चंदा वसूली की शिकायत केन्द्रीय सतर्कता आयोग में भी की गई थी। आयोग ने शिकायत पर प्रकरण दर्ज कर लिया है। आयोग की जांच में सोसायटी की ओर से सभी दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएंगे।