दलित हरीश जाटव की हत्या को मॉबलिंचिंग क्यों नहीं मानती राजस्थान की कांग्रेस सरकार।
हालांकि 18 अगस्त को अलवर के भिवाड़ी के रत्तीराम जाटव के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया, रत्तीराम ने तीन दिन पहले पुलिस के रवैये से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी, रत्तीराम का कहना रहा कि उसके बेटे हरीश को बदमाशों ने पीट पीट कर मार दिया, लेकिन पुलिस और प्रशासन मॉबलिंचिंग की धाराओं में मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है। पुलिस और प्रशासन के रवैये से दु:खी होकर ही रत्तीराम ने मौत को गले लगा लिया। पिछले तीन दिन से रत्तीराम का शव रखा हुआ था। हरीश की बेवा रेखा जाटव भी न्याय के लिए अनशन पर बैठ गई। एक परिवार में दो दो मौत के बाद भी राजस्थान की कांग्रेस सरकार संवेदनशील नहीं दिखी। एक दलित युवक हरीश जाटव की हत्या पर ऐसा रवैया तो दूसरी ओर अलवर के ही पहलू खां के प्रकरण में एडीजे कोर्ट के फैसले के बाद दो बारा से जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि एडीजे कोर्ट के फैसले की अपील की जाएगी। मुख्यमंत्री ने पुलिस की जांच पर भी असंतोष व्यक्त किया। हालांकि पिछले आठ माह से राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। सवाल उठता है कि पुलिस जांच पर ऐतराज था तो सुनवाई के दौरान ही न्यायालय में आपत्ति दर्ज क्यों नहीं करवाई गई? मालूम हो कि अलवर का पहलू खां का प्रकरण भाजपा के शासन में वर्ष 2017 में हुआ था, तब देशभर में चर्चा का विषय बना। आरोप लगे कि भाजपा शासित राज्यों में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं। पहलू खां की हत्या पर दिल्ली के जंतर मंतर पर मोमबत्तियां भी जलाई गई। लेकिन अब उसी अलवर में जब दलित युवक की पीट पीट कर हत्या कर दी गई तो न मोमबत्तियां जल रही है और न ही कांग्रेस का कोई नेता बोल रहा है। इससे ज्यादा दु:खद बात और क्या हो सकती है कि पुलिस की रवैये से परेशान होकर पिता ने भी खुदकुशी कर ली। 14 अगस्त को जब पहलू खां के प्रकरण में आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया गया तो कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी न्यायालय के फैसले को चौंकाने वाला बताया, लेकिन साथ ही मॉबलिंचिंग पर कानून बनाने के लिए अपनी पार्टी की सरकार की पीठ थपथपा दी। देखना होगा कि अब प्रियंका गांधी दलित युवक और उसके पिता की मौत पर कब प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं। सवाल यह भी कि जब सरकार ने मॉबलिंचिंग कानून बना दिया है तो फिर हरीश जाटव के मामले में उन धाराओं का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा।
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