इसरो प्रमुख शिवन के आंसू बेकार नहीं जाएंगे।

इसरो प्रमुख शिवन के आंसू बेकार नहीं जाएंगे।
चांद की सतह पर विक्रम लेंडर का पता चला।
अब भी हो सकता है चमत्कार। 

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चांद पर पहुंचने की भारत की ख्वाहिश अब भी पूरी हो सकती है। 8 सितम्बर को चन्द्रयान-2 के ऑर्बिटर ने विक्रम लेंडर का पता लगा लिया है। ऑर्बिटर ने विक्रम लेंडर की थर्मल इमेज इसरो को भेजी है। विक्रम लेंडर चांद के चारों ओर लगातार चक्कर लगा रहा है। इसी दौरान ऑर्बिटर ने लापता हुए विक्रम लेंडर को खोज निकाला है। विक्रम लेंडर का पता लगते ही इसरो के वैज्ञानिकों के चेहरे खिल उठे हैं। इसरो प्रमुख के शिवन ने ही बताया कि ऑर्बिटर ने जो इमेज भेजी है वह बहुत ही उत्साहवर्धक है। हालांकि अभी विक्रम लेंडर और ऑर्बिटर के बीच सम्पर्क नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि किसी भी क्षण दोनों मे ंसम्पर्क हो सकता है। यदि ऑर्बिटर का सम्पर्क विक्रम लेंडर से हो गया तो चांद पर पहुंचने का भारत का सपना पूरा हो जाएगा। 6 सितम्बर की रात को इसरो प्रमुख के शिवन की आंखों में तब आंसू आ गए थे, जब ऑर्बिटर से अलग होने के बाद विक्रम लेंडर लापता हो गया। इसरो के प्लान के अनुसार विक्रम लेंडर को ऑर्बिटर से अलग होने के बाद चांद की सतह पर उतरना था और फिर विक्रम लेंडर में से प्रज्ञान को बाहर आना था। प्रज्ञान ही चांद की सतह पर तिरंगा बनाता और फिर विक्रम लेंडर की मदद से चांद के वातावरण, भूमि आदि की जानकारी ऑर्बिटर के माध्यम से इसरो तक भेजता। इसरो के वैज्ञानिकों का सम्पर्क ऑर्बिटर से तो है, लेकिन विक्रम लेंडर और प्रज्ञान से नहीं। विक्रम लेंडर और प्रज्ञान को इसरो के डेटा के मुताबिक की काम करना है। यानि चांद की सतह पर पहुंचने के बाद विक्रम लेंडर पर इसरो का कोई नियंत्रण नहीं है। अब यदि प्लान के अनुसार विक्रम लेंडर का सम्पर्क ऑर्बिटर से हो जाता है तो इसरो का मिशन पूरा हो जाएगा। यानि के शिवन के आंसू बेकार नहीं जाएंगे। विक्रम लेंडर के लापता होने के बाद के शिवन का कहना रहा कि चन्द्रयान-2 ने 99 प्रतिशत सफलता हासिल कर ली है। शिवन ने कहा कि आगामी 14 दिनों तक विक्रम लेंडर और ऑर्बिटर के बीच सम्पर्क हो सकता है, इसलिए इसरो के वैज्ञानिकों ने अभी हिम्मत नहीं हारी है। सब जानते हैं कि छह सितम्बर की रात को वैज्ञानिकों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद थे। विक्रम लेंडर के लापता होने के बाद मोदी ने भी कहा था जल्द ही हमें खुशखबरी सुनने को मिलेगी। इसे प्रधानमंत्री का वैज्ञानिकों के प्रति भरोसा ही कहा जा सकता है, कि उन्हें अभियान के विफल होने की उम्मीद नहीं थी। भारतवासियों के लिए यह खुशखबरी है कि अब हमे चांद पर पहुंच रहे हैं। भारतीय संस्कृति में चांद का बहुत महत्व माना गया है। हिन्दू तिथियों की गणना तो चांद से ही होती है। इसी प्रकार मुस्लिम समुदाय के पर्व भी चांद से ही निर्धारित होते हैं। यानि हिन्दू और मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं चांद से जुड़ी हुई है। ऐसे में यदि भारत के 130 करोड़ लोगोंका सपना पूरा होता है तो यह बहुत बड़ी सफलता होगी।
एस.पी.मित्तल) (08-09-19)
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