मसूद के ग्लोबल आतंकी घोषित होने पर आखिर मोदी को राजनीतिक फायदा क्यों न मिले?
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     Sp mittal
   
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                May 2, 2019
    
                                
      
      
        
          
मसूद के ग्लोबल आतंकी घोषित होने पर आखिर मोदी को राजनीतिक फायदा क्यों न मिले? काश! ऐसी घोषणा 11 अप्रैल से पहले हो जाती। 
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एक मई को जैसे ही यूएन ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख अजहर मसूद को ग्लोबल आतंकवादी घोषित किया, वैसे ही राजस्थान में जयपुर की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ही अंदाज में जानकारी दी। मोदी ने इसे देश की 130 करोड़ जनता की जीत बताया। विपक्षी दल कह रहे हैं कि मोदी राजनीतिक फायदा उठा रहे हैं। सवाल उठता है कि मोदी राजनीतिक फायदा क्यों न उठाएं? मसूद को आतंकी घोषित करवाना क्या कोई छोटी बात है? वो भी तब जब पाकिस्तान की पीठ पर चीन बैठा हुआ है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों की अक्ल पर तरस आता है। पाकिस्तान में बैठ कर मसूदा जब भी भारत में कोई आतंकी घटना करवाता है तो विपक्षी नेता तत्काल प्रभाव से कहते हैं कि सरकार ने छोड़ा था। यानि आतंकी घटनाओं की जिम्मेदारी भाजपा पर डाली जाती है। पुलवामा में जब हमारे चालीस जवान शहीद हुए तब भी ऐसी ही बातें कहीं गई। अब जब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने कूटनीतिक प्रयासों से मसूद को ग्लोबल आतंकी घोषित करवा दिया है, तब भी राजनीति की जा रही है। मसूद को किन हालातों में आतंकी घोषित करवाया, यह मोदी और विदेशी मंत्री सुषमा स्वराज ही जानती है। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर वीटो पावर की ताकत रखने वाले अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों को एकमत करना कोई आसान काम नहीं है। मसूद को आतंकी घोषित करवाने के प्रयास तो मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार में भी हुए थे, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी सफलता नहीं मिली। मसूद को ग्लोबल आतंकी घोषित करवा कर पीएम मोदी ने यह साबित किया है कि दुनिया में भारत की धाक है। यदि भारत की धाक नहीं होती तो चीन कभी भी सरेंडर नहीं करता। चीन को भी पाकिस्तान में अपने सात लाख करोड़ रुपए के निवेश की चिंता है।
काश! 11 अप्रैल से पहले होती घोषणा:
भारत में इन दिनों लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। 29 अप्रैल तक चार चरणों में करीब पौने चार सौ सीटों पर मतदान हो चुका है। शेष करीब पौने दो सीटों पर तीन चरणों में मतदान होगा। मसूद को ग्लोबल आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव मार्च में भी रखा गया था, लेकिन चीन ने अपने वीटो का इस्तेमाल प्रस्ताव को रुकवा दिया। एक मई को यूएन की सभा में जब प्रस्ताव पर फिर से विचार हुआ तो चीन ने अपने वीटों को हटा लिया। यदि मार्च में मसूद आतंकी घोषित हो जाता तो सभी साढ़े पांच सौ सीटों पर असर पड़ता। विपक्षी दलों को यह समझना चाहिए कि आतंकवादी किसी के दोस्त नहीं होते। आतंक की आग में सभी जलते हैं। यदि मोदी ने देशहित में कोई अच्छा कार्य किया है तो उसकी प्रशंसा भी होनी चाहिए।
 
 
 
 
 
 
