आखिर मायावती ने दिलवा दी हरीश रावत को जीत। विधानसभा के मतदान का फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा।
आखिर मायावती ने दिलवा दी हरीश रावत को जीत।
विधानसभा के मतदान का फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा।
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10 मई को उत्तराखंड विधानसभा में जो शक्ति परीक्षण हुआ। उसमें हरीश रावत की सरकार को बहुमत मिल गया है, लेकिन इसकी अधिकारिक घोषणा 11 मई को सुप्रीम कोर्ट करेगा। रावत को जीत दिलवाने में बसपा की प्रमुख मायावती की खासी भूमिका रही है। उत्तराखंड में बसपा के दो विधायक हैं। इन दोनों को मायावती ने पहले ही निर्देश दे दिए थे कि मतदान के समय कांग्रेस की सरकार का समर्थन किया जाए। यही वजह रही कि 10 मई को सरकार के विपक्ष में 28 मत ही पड़े। इनमें से 27 भाजपा और 1 कांग्रेस का विधायक बताया जा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि जोड़तोड़ कर हरीश रावत ने आखिर बहुमत साबित कर ही दिया। कांग्रेस के जब 9 विधायक बागी हो गए थे तब रावत ने विधायकों को खरीदने के लिए मुंह मांगी रकम देना का वायदा किया। पिछले दो महीने में हरीश रावत ने जो चाल चली,उसी का परिणाम रहा कि विधानसभा में बहुमत साबित हो गया। भाजपा को उम्मीद थी कि कांग्रेस के 9 विधायकों की बगावत से हरीश रावत की सरकार को गिरा दिया जाएगा, लेकिन विधानसभा के अध्यक्ष से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में बागी विधायकों को मतदान में भाग लेने से रोक दिया। ऐसे में भाजपा की हर करतूत फैल हो गई। केन्द्र में सरकार होने की वजह से उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन भी लगाया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की दखल से हरीश रावत को विधानसभा में शक्ति परीक्षण का अवसर मिल ही गया। मतदान में हारने के बाद भाजपा यही कहेगी कि विधायकों की खरीद फरोख्त हुई है। लोकतंत्र में अब ऐसे आरोप कोई मायने नहीं रखते है। भाजपा के रणनीतिकारों को भी अब सोचना होगा कि किसी राज्य में जबरन राष्ट्रपति शासन थोपने से कितना नुकसान होता है। अच्छा होता कि केन्द्र सरकार पहले ही हरीश रावत को विधानसभा में बहुमत साबित करने का अवसर दे देती। यदि ऐसा हो जाता तो भाजपा और केन्द्र सरकार की इतनी किरकिरी नहीं होती। मतदान में 61 में से 33 वोट सरकार के पक्ष में आने से प्रतीत होता है कि उत्तराखण्ड में हरीश रावत की पकड़ है। चाहे यह पकड़ किसी भी प्रकार से रखी गई हो।
सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला :
10 मई को उत्तराखंड विधानसभा में जो मतदान की प्रतिक्रिया हुई, उसका फैसला 11 मई को सुप्रीम कोर्ट करेगा। विधानसभा में मतदान के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने 2 घंटे के लिए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था। हो सकता है 11 मई को केन्द्र सरकार के राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय पर भी सुप्रीम कोर्ट कोई प्रतिकूल टिप्पणी करें।
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(एस.पी. मित्तल) (10-05-2016)
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