वसुंधरा ने ओमप्रकाश माथुर की आरती उतारी तो नेग में मिले एक हजार रुपए। अब नहीं रहा दोनों में विवाद।
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वसुंधरा ने ओमप्रकाश माथुर की आरती उतारी तो नेग में मिले एक हजार रुपए।
अब नहीं रहा दोनों में विवाद।
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30 मई को राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार ओमप्रकाश माथुर को अपने निवास पर बुलाया और भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए थाली में दीपक रखकर माथुर की आरती उतारी। राजे ने अपने हाथों से माथुर के माथे पर तिलक भी लगाया और माला भी पहनाई। माथुर ने भी संस्कृति और शिष्टाचार का ख्याल रखते हुए आरती की थाली में नेग के रूप में एक हजार रुपए रख दिए। राजे ने दो अन्य उम्मीदवार हर्षवर्धन सिंह और राजकुमार वर्मा की भी आरती उतारी। इसी के बाद भाजपा के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया। सीएम राजे के द्वारा माथुर की आरती उतारने की घटना राजनीति में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि राजे और माथुर के बीच 36 का आंकड़ा माना जाता है। लेकिन 30 मई को सीएम राजे ने अपनी ओर से जो पहल की है, उससे यह प्रतीत होता है कि अब इन दोनों में कोई विवाद नहीं है। असल में इसे भारतीय संस्कृति की महानता ही कहा जाएगा। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि सीएम राजे ने राजनीतिक रिश्तों में धार्मिक संबंधों का मेल कराया है। हम सब जानते है कि घर में जब कोई शुभ कार्य होता है तो परिवार की महिला खासकर बहन ही अपने भाई की आरती उतारती है। शायद 30 मई को राजे और माथुर के बीच भी बहन-भाई के संबंधों को निभाया गया है।
29 मई को जब राजस्थान से राज्यसभा के लिए माथुर के नाम की घोषणा हुई तो 30 मई को अखबारों में छापा कि सीएम राजे की राय के खिलाफ माथुर को राजस्थान में उम्मीदवार बनाया गया है। खबरों में यह भी कहा गया कि अब राजस्थान में सत्ता के दो केन्द्र बन जाएंगे। इसमें कोई दो राय नहीं कि भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में माथुर का दबदबा है। माथुर इस समय भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ उत्तरप्रदेश के प्रभारी भी हैं। माथुर गुजरात के भी प्रभारी रह चुके है। ऐसे में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह से माथुर के सीधे संबंध हैं। माथुर राजस्थान भाजपा में अध्यक्ष भी रह चुके है। राजस्थान में सत्ता के दो केन्द्र बनेंगे या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि सीएम राजे ने फिलहाल विवाद की खबरों पर विराम लगा दिया है। अब माथुर के सामने भी राजे की प्रंशसा करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। 30 मई को सीएम राजे और माथुर के बीच जो आत्ममियता दिखी उसकी पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जहाज का अचानक जयपुर में उतरना रहा। 29 मई की रात को दिल्ली का मौसम खराब होने की वजह से मोदी को अचानक जयपुर उतरना पड़ा। कोई डेढ़ घंटे तक मोदी जयपुर के एयरपोर्ट पर अपने जहाज में ही बैठे रहे। इस दौरान कोई एक घंटे तक सीएम राजे भी मोदी के साथ रहीं। यह मुलाकात कोई पूर्व निर्धारित नहीं थी। मोदी भी रिलेक्स मूड में थे। ऐसे में वो सभी बातें हुई होंगी जो एक सरकारी दफ्तर में नहीं हो सकती। हो सकता है कि तब माथुर की उम्मीदवारी पर भी चर्चा हुई हो। कोई माने या नहीं लेकिन 30 मई को सीएम राजे जिस आत्मविश्वास में दिखीं, उससे यह कयास लगाया जा सकता है कि जहाज में मोदी के साथ हुई वार्ता उम्मीद से ज्यादा सफल रही है। राजे ने उन सभी शंकाओं का समाधान मोदी के साथ कर लिया होगा, जिनको लेकर कभी विवाद की स्थिति हो सकती थी। आने वाले दिनों में सीएम राजे और भी स्वतंत्रता के साथ शासन करेंगी।
(एस.पी. मित्तल) (30-05-2016)
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