इसलिए बिगड़ रहे हैं राजस्थान में शिक्षा विभाग के हालात। पातेय वेतन ब्रांड वाले 25 हजार शिक्षक वसुंधरा सरकार से खफा।
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इसलिए बिगड़ रहे हैं राजस्थान में शिक्षा विभाग के हालात।
पातेय वेतन ब्रांड वाले 25 हजार शिक्षक वसुंधरा सरकार से खफा।
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राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी अपने विभाग के हालात जितने सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, उतने ही विभाग के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि देवनानी ने विषयवार, वरिष्ठता सूची बनवाकर हजारों शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ दिलवाया, लेकिन इस पदोन्नति से पातेय वेतन ब्रांड वाले 25 हजार शिक्षक वंचित रह गए। इसे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार का राजनीतिक निर्णय माना जा रहा है। असल में वर्ष 2009 में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक निर्णय लेकर तृतीय श्रेष्ठी शिक्षकों को वरिष्ठ अध्यापक और माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाध्यापक बना दिया। उस समय ऐसे पद रिक्त पड़े थे। इसलिए सरकार ने काम चलाऊ फैसला लिया। हालांकि तब भी तृतीय श्रेणी के अध्यापकों की वरिष्ठता का ध्यान रखा गया। अब जब देवनानी ने शिक्षकों की वरिष्ठ सूची बना कर पदोन्नति का काम किया तो कांग्रेस सरकार में पदोन्नत हुए तृतीय श्रेणी शिक्षकों को शामिल नहीं किया। अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से यह पूछने वाला कोई नहीं है कि आखिर इन 25 हजार शिक्षकों को पदोन्नति की प्रक्रिया में शामिल क्यों नहीं किया? स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी कई बार कह चुके हैं कि पातेय वेतन ब्रांड शिक्षकों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। लेकिन देवनानी की बोलती सीएम वसुंधरा राजे के सामने बंद हो जाती है। वसुंधरा राजे वर्ष 2009 के काम चलाऊ आदेश को भले ही कांग्रेस सरकार का मानती हों, लेकिन इन 25 हजार शिक्षकों में ज्यादातर भाजपा के समर्थक हंै। इन शिक्षकों का कहना है कि हमारे ही वोट से वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा के 160 विधायक चुनाव जीते हैं।
अपमानित हो रहे स्कूलों में :
पातेय वेतन ब्रांड शिक्षक अब अपनी ही स्कूलों में अपमानित हो रहे हंै। शिक्षक पिछले कई वर्षो से वरिष्ठ अध्यापक और प्रधानाध्यापक का काम कर रहे थे उन्हें हटा कर नए शिक्षकों को प्रधानाध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक नियुक्त कर दिया है। यानि पातेय वेतन ब्रांड शिक्षक फिर से तृतीय श्रेणी के शिक्षक बन गए हंै। ऐसे शिक्षकों को विद्यार्थियों व अभिभावकों के सामने अपमानित होना पड़ रहा है। साथ ही जूनियर शिक्षकों के अधीन काम करने को मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे अपमानित हो रहे शिक्षकों का कहना है कि कम से कम उनका तबादला दूसरी स्कूल में तो कर दिया जाए। सीएम वसुंधरा राजे माने या नहीं लेकिन अब ये पातेय वेतन ब्रांड 25 हजार शिक्षक प्रदेश भर में सरकार के खिलाफ जहर उगल रहे हंै। चंूकि ये शिक्षक स्कूल के प्रधानाध्यापक से भी वरिष्ठ हंै, स्कूल के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब सरकार इन शिक्षकों को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही तो फिर ये शिक्षक भी विद्यार्थियों को कैसे पढ़ा रहे होंगे, इसका भी आभास सरकार को हो जाना चाहिए। सरकार के इस रवैये के विरोध में ही अब प्रदेश भर के पातेय वेतन ब्रांड शिक्षक एकजुट हो रहे हंै। इन शिक्षकों को एकजुट करने का बीड़ा दिनेश शर्मा ने उठाया है। इसकी शुरूआत अजमेर में ही की गई है। 8 जून से अजमेर के माध्यमिक शिक्षा के उपनिदेशक कार्यालय के बाहर बेमियादी धरना शुरू किया गया। 9 जून के धरने में शिक्षकों ने मुझे भी आमंत्रित किया। शिक्षकों ने जो पीड़ा मुझे बताई, उसे ही इस ब्लॉग में लिखा गया है। सीएम वसुंधरा राजे को चाहिए कि अपनी सोच में बदलाव करते हुए इन पातेय वेतन ब्रांड 25 हजार शिक्षकों को भी पदोन्नति की प्रक्रिया में शामिल किया जाए। सीएम राजे को यह भी समझना चाहिए कि मात्र ढाई वर्ष बाद विधानसभा के चुनाव होने है। यदि 25-25 हजार परिवारों को एक-एक निर्णय से नाराज किया गया तो फिर चुनाव के परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। जहां तक स्कूली शिक्षा मंत्री देवनानी का सवाल है तो सब जानते है कि शिक्षा विभाग में वो ही होता है जो वसुंधरा राजे चाहती हैं। पातेय वेतन ब्रांड शिक्षकों को एकजुट करने में लगे दिनेश शर्मा का कहना है कि वे शीघ्र ही प्रदेशभर का दौरा करेंगे। फिलहाल कोई भी पीडि़त शिक्षक उनके मोबाइल नम्बर 9413300946 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
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(एस.पी. मित्तल) (09-06-2016)
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