महंगाई पर डीडी और सुदर्शन न्यूज के अलग-अलग सुर।
#1473
महंगाई पर डीडी और सुदर्शन न्यूज के अलग-अलग सुर।
—————————————
डीडी न्यूज तो केन्द्र सरकार का चैनल है ही लेकिन सुदर्शन न्यूज चैनल को भी सरकार का समर्थक माना जाता है। 18 जून को सुदर्शन चैनल पर बढ़ती महंगाई पर एक रिपोर्ट दिखाई गई। इस रिपोर्ट में बताया गया कि सब्जी, दाल, तेल आदि महंगे हो गए हैं इससे आम जनता परेशान है। लेकिन वहीं डीडी न्यूज के दोपहर 3 बजे वाले बुलेटिन में ऐसी महिलाओं के इन्टरव्यू दिखाए गए जिन्होंने माना कि महंगाई नहीं बढ़ी है। डीडी न्यूज पर महिलाओं ने कहा कि महंगाई तो सामान्य है, जहां तक टमाटर जैसी सब्जी का सवाल है तो अभी टमाटर का सीजन नहीं है। ऐसे में टमाटर के दाम 60 रुपए किलो तक पहुंच गए है, लेकिन प्याज तो मात्र 8-10 रुपए किलों में ही मिल रहा है। जबकि पूर्व में तो प्याज 100 रुपए किलो तक बिका है। डीडी न्यूज पर कोई 6 गृहणियों के इंटरन्यू दिखाए गए इनमें से एक ने भी महंगाई की बात को स्वीकार नहीं किया।
डीडी न्यूज केन्द्र सरकार के दिशा निर्देशों पर संचालित होता है। इसलिए इस चैनल के रिपोर्टर को देश में ऐसी गृहणी मिलेगी ही नहीं जो महंगाई बढऩे की बात कहेगी। जब हम निजी चैनलों पर खबरों को लेकर भेदभाव के आरोप लगाते है तब सरकार के डीडी न्यूज चैनल से भी यह उम्मीद की जाती है कि वह सत्य के आसपास खबरों का प्रसारण करे। सरकार माने या नहीं लेकिन बाजार में महंगाई तेजी से बढ़ी है। हो सकता है कि वर्षा नहीं होने की वजह से सब्जियों की पैदावर पर फर्क हो इसलिए मंडियों में सब्जियां महंगी है, लेकिन जिस तरह दालों के भाव बढ़ रहे हैं, उससे सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती है। मुझे ध्यान है कि जब नरेन्द्र मोदी लोकसभा चुनाव में प्रचार कर रहे थे तब दालों के भाव बढऩे के संबंध में बार-बार कहा कि सरकार को एडवांस में विदेशों से दालें आयात कर लेनी चाहिए थी, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने ऐसा नहीं किया। अब यही सवाल मोदी के सामने है कि सरकार ने समय रहते दालों का आयात क्यों नहीं किया? सरकार माने या नहीं लेकिन बाजार में दाले 125 रुपए से लेकर 150 रुपए किलो तक के भाव से बिक रही हैं। जो चने की दाल 60 रुपए किलो थी वह अब 80 रुपए किलो तक पहुंच गई है। बेसन तो 100 रुपए किलो तक बेचा जा रहा है। 15 किलो वजन का तेल का पीपा 1300 रुपए से बढ़कर 1800 रुपए तक पहुंच गया है। बाजार में महंगाई बढऩे से सरकारी कर्मचारियों को तो कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि समय-समय पर उनका वेतन बढ़ जाता है। लेकिन जो गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार हैं उन्हें महंगाई के बढऩे से भारी परेशानी होती है। जिस तरह से डीजल और पेट्रोल के मूल्य रोजाना बढ़ रहे है उससे भी महंगाई में इजाफा हो रहा है। सरकार को महंगाई को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
(एस.पी. मित्तल) (18-06-2016)
(www.spmittal.in) M-09829071511