अलगाववादी नेता अपने बच्चों से क्यों नहीं करवाते जेहाद? दरगाह दीवान आबेदीन ने उठाया सवाल। कश्मीर के धर्मगुरु खुलकर सामने आए।
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12 जुुलाई को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन की दरगाह के दीवान और सज्जादानसीन सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान ने कश्मीर के ताजा हालातों पर एक बार फिर राष्ट्रहित में बयान जारी किया है। अपने इस बयान में दीवान ने कश्मीर के हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और अलगाववादियों के नेताओं से सवाल पूछा है कि यदि मुस्लिम युवकों के लिए जेहाद जरूरी है तो फिर वे अपने बच्चों को बंदूक थमा कर जेहाद के लिए सड़कों पर क्यों नहीं उतारते? दीवान ने कहा कि अधिकांश अलगाववादियों के बच्चे मलेशिया, कनाडा और अमरीका के साथ-साथ दिल्ली, मुम्बई, बैंगलोर में रह रहे हैं या फिर पढ़ाई कर रहे हैं। इन नेताओं के बच्चे बहुराष्ट्रीय कंपनियों में लाखों रुपए का पैकेज भी प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन वहीं कश्मीर के दूसरे युवकों को गुमराह कर जेहाद करने के लिए बंदूकें थमा रहे हैं। अलगाववादियों के नेताओं का यह दोहरा चरित्र है।
दीवान आबेदीन ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं पर आरोप लगाया कि वे लाशों पर राजनीति कर रहे हैं। बेवजह युवाओं को मौत के मुंह में धकेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में भटकाव की विचारधारा का विरोध करने के लिए मुस्लिम धर्मगुरुओं को खुलकर आगे आना चाहिए। इस्लामिक स्कॉलर डॉ. जाकिर नाईक जैसे लोग धर्म के नाम पर कट्टरता फैला रहे हैं। डॉ. नाईक जैसों की वजह से ही आज कश्मीर के हालात बिगड़ रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जताया कि हर वर्ष अमरनाथ यात्रा के समय ही कश्मीर घाटी में अशांति का माहौल बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए राज्य सरकार पहले से तैयार नहीं होती है। यदि एडवांस में तैयारी की जाए तो ऐसे हालातों पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने भारत सरकार को विश्वास दिलाया कि देश का आम मुसलमान सरकार के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार को अब सख्त से सख्त कदम उठाना चाहिए।
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(एस.पी. मित्तल) (12-07-2016)
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