अजमेर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ आएंगी खुशियां। अभी न बिजली है न पानी। खस्ताहाल सड़कें।

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अजमेर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ आएंगी खुशियां। अभी न बिजली है न पानी। खस्ताहाल सड़कें।
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मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 15 अगस्त के राज्यस्तरीय स्वतंत्रता दिवस के समारोह में भाग लेने के लिए जब 13 अगस्त को अजमेर आएंगी तभी शहरवासियों को भी खुशी मिलेगी। इस समय भूमिगत केबल बिछाने के नाम पर शहर भर की सड़कों को खोद दिया गया है और दिनभर बिजली की सप्लाई भी बंद है। इसका असर पेयजल की सप्लाई पर भी पड़ा है। पुष्कर घाटी में पिछले दो दिन में यातायात बंद है। यहां भी महाराणा प्रताप स्मारक के विस्तार के लिए पहाडिय़ों को काटा जा रहा है। पिछले 10 दिनों से रोजाना शहर के अधिकांश भाग में दिनभर के लिए बिजली बंद है। लगातार बिजली बंद होने से लोगों की परेशानी का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिला प्रशासन और विद्युत निगम का प्रयास है कि सीएम के आने से पहले-पहले अनेक मार्ग को पोल लैस कर दिया जाए। इसलिए लोगों की परेशानी की और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि आगामी एक सप्ताह शहर के हालात ऐसे ही रहेंगे। जब किसी अधिकारी से बात की जाती है तो उसका कहना कि यह सब शहरवासियों के लिए ही किया जा रहा है। चूंकि काम सीएम के आने से पहले-पहले पूरा करना है। इसलिए लोगों को परेशानी तो होगी ही। यह माना कि बिजली की भूमिगत केबल की वजह से सप्लाई बाधित हो रही है। लेकिन यदि लगातार 15 दिनों तक दिनभर बिजली की सप्लाई बंद रखी जाए तो फिर इंजीनियरों और अधिकारियों की कार्यकुशलता पर भी सवाल उठता है। क्या कोई ऐसी तकनीक नहीं है जिससे कम समय के लिए बिजली कटौती की जाएगी? यह बात अलग है कि आने वालों दिनों में भूमिगत केबल कितनी सफल होगी। यूं तो केबल का काम पिछले पांच माह से शहर भर में चल रहा है और तभी से सड़कें खुदी पड़ी हैं। टूटी-फूटी सड़कों की स्थिति बरसात में कैसी होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। भले ही मुख्यमंत्री के आने पर खुशियां भी आएगी लेकिन वर्तमान में शहर की प्रमुख सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के पैदल चलते ही पैर की हड्डी गत 23 जुलाई को टूट चुकी है। लेकिन इससे भी कोई सबक नहीं लिया गया है। यानि मंत्री के जख्मी होने के बाद भी आम आदमी को कोई सुध नहीं ली गई है। असल में प्रशासनिक अधिकारियों को आम लोगों की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है। अधिकारियों का मकसद तो सिर्फ सीएम को खुश करना है। उन सभी मार्ग को चमकाया जा रहा है जहां से सीएम को गुजरना है। यदि सीएम खुश हो गई तो आम लोगों की परेशानी कोई मायने नहीं रखती है।
(एस.पी. मित्तल) (30-07-2016)
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