आखिर कर्फ्यू में भी कश्मीर घाटी के सुरक्षा बलों से कौन लड़ रहा है।
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आखिर कर्फ्यू में भी कश्मीर घाटी के सुरक्षा बलों से कौन लड़ रहा है।
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21 अगस्त को जब जम्मू कश्मीर समैलपुर में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पंडित प्रेमनाथ डोगरा को श्रद्धाजंलि दे रहे थे, तब कश्मीर घाटी के क्षेत्र में आतंकियों और सुरक्षा बलों में मुठभेड़ हो रही थी। सब जानते हंै कि घाटी में डेढ़ माह से कर्फ्यू लगा हुआ है। घाटी में कारोबार पूरी तरह ठप्प है। घाटी के लोगों को कर्फ्यू अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। इन हालातों के बीच आतंकवादी सुरक्षा बलों पर हमला करने से बाज नहीं आ रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि घाटी के हालात सुधारने में कोई राजनीतिक पहल नहीं हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान से आए प्रशिक्षित आतंकवादियों ने कश्मीर घाटी को बंधक बना लिया है। सुरक्षा बल जब कभी कफ्र्यू में ढील देने की कोशिश करते है तो उन्हें मुठभेड़ का सामना करना पड़ता है। इससे घाटी के हालातों का अंदाजा लगा लेना चाहिए। घाटी से जब हिन्दुओं को पीट-पीट कर भगाया जा रहा था, तब अलगाववादियों के हिमायती राजनेता चुप थे। आज उन्हीं नेताओं ने अपनी आंखों पर पट्टी भी बांध ली है। यदि घाटी में चार लाख हिन्दू भी बसे रहते तो आज हालात एक तरफा नहीं होते। माना कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। जब हम धर्मनिरपेक्ष है तो फिर घाटी में डेढ़ माह से कर्फ्यू क्यों लगा हुआ है? कुछ लोग कश्मीर की समस्या को सरकार की समस्या मानते है। असल में कश्मीर किसी एक सरकार की समस्या नहीं है। कश्मीर में होने वाली घटनाओं का असर पूरे देश पर पड़ता है। कश्मीर के ऐसे नाजुक माहौल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। संभवत: यह पहला अवसर है जब देश के किसी प्रधानमंत्री ने इतना सख्त रूख अपनाया है। अक्सर केन्द्र सरकार को कश्मीर के अलगाववादियों के सामने गिड़गिड़ाते देखा गया है, लेकिन इस बार पीएम मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा कि हम पाक अधिकृत कश्मीर को भी लेंगे। इतना ही नहीं बलुचिस्तान का मुद्दा भी उठाकर मोदी ने पाकिस्तान को बचाव की मुद्रा में खड़ा कर दिया। कश्मीर के अलगाववादी हर बार पाकिस्तान से वार्ता करवाकर भारत को अपमानित करते रहे, लेकिन इस बार मोदी ने साफ कर दिया कि हमारे कश्मीर पर पाकिस्तान से कोई वार्ता नहीं होगी। सही भी है कि जब हम देश की एकता और अखंडता की शपथ लेते है तो फिर हमारे कश्मीर को किसी दूसरे देश को देने के लिए वार्ता कैसे कर सकते है। कांग्रेस और विपक्षी दलों को अब अपनी नीति को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर कश्मीर पर उनकी क्या राय है। कश्मीर की समस्याओं का समाधान तभी होगा जब हम पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रूख अपनाएंगे। कश्मीर में जो लोग आतंकी संगठन आईएस और पाकिस्तान के झंडे लहराते है उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
(एस.पी. मित्तल) (21-08-2016)
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