अतिक्रमणकारियों की सरकारी सूची में अलवर यूआईटी के अध्यक्ष देवी सिंह शेखावत और कांग्रेस के पूर्व विधायक नाथुराम सिनोदिया का नाम भी शामिल। किशनगढ़ में 500 करोड़ की 63 बीघा मंदिर भूमि पर प्रभावशालियों का अवैध कब्जा।
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इसे राजनीति का चरित्र ही कहा जाएगा कि जब अवैध कब्जे की बात सामने आती है तो राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के नाम भी शामिल होते हैं। भले ही नेताओं के राजनीतिक मतभेद हों, लेकिन कब्जा करने में सभी नेता एकजुट होते हैं। इसका ताजा उदाहरण राजस्थान की मार्बल नगरी किशनगढ़ में देखने को मिला है। हाईकोर्ट के निर्देंश पर किशनगढ़ के उपखंड अधिकारी ने अतिक्रमणकारियों की जो सूची बनाई है, उसमें अलवर यूआईटी के अध्यक्ष देवी सिंह शेखावत और किशनगढ़ के ही कांग्रेस के पूर्व विधायक नाथुराम सिनोदिया का नाम शामिल है। इन दोनों ने ही मंदिर श्री रघुनाथ जी महाराज की भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है। शेखावत ने मार्बल एरिया में शेखावत मार्बल और सनोदिया ने जी वी स्टोनेक्स व सिनोदिया मार्बल के नाम से मार्बल का कारोबार कर रखा है। किशनगढ़ के तहसीलदार ने गत 4 जुलाई को अंतिम नोटिस जारी कर 7 दिन में अवैध कब्जा हटाने के निर्देंश दिए, लेकिन आज 26 सितम्बर के दिन भी इन प्रभावशाली नेताओं का कब्जा नहीं हट सका है। सरकार के किसी भी कारिन्दे में इतनी ताकत नहीं कि वह यूआईटी के अध्यक्ष और पूर्व विधायक का कब्जा हटा सके।
हाईकोर्ट के हंै आदेश
मंदिर श्री रघुनाथ के पुजारी परिवार से जुड़े चन्द्र प्रकाश वैष्णव ने बताया कि 63 बीघा भूमि का कब्जा लेने के लिए हाईकोर्ट में लम्बी लड़ाई लड़ी, इसके बाद ही 3 मार्च 2015 को हाईकोर्ट ने अजमेर प्रशासन को आदेश दिए कि भूमि पर से कब्जा हटाया जाए। तहसीलदार और एसडीओ ने बार-बार जो नोटिस जारी किए हैं, उसमें हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी प्रभावशाली लोग हाईकोर्ट के आदेश को नहीं मान रहे हैं। जिन यूआईटी अध्यक्ष पर अतिक्रमण हटाने का जिम्मा है वह स्वयं हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ भूमि पर कब्जा कर बैठे हैं। वैष्णव ने कहा है कि यदि अंतिम नोटिस के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटे तो हाईकोर्ट में अवमानना की याचिका प्रस्तुत की जाएगी।
बेबस है प्रशासन
हाईकोर्ट के आदेश के बाद से ही अजमेर जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार बैठकें कर चुका है, लेकिन राजनेताओं की भागीदारी होने की वजह से प्रशासन बेबस है। अलवर यूआईटी के अध्यक्ष शेखावत के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके एक भाई गोपाल सिंह शेखावत आरएएस अधिकारी है तो दूसरे शक्ति सिंह शेखावत सिविल जज।
मैं अकेला नहीं – शेखावत
यूआईटी अध्यक्ष शेखावत ने कहा कि वे अकेले अतिक्रमणकारी नहीं हंै। ऐसे नोटिस 80 से भी ज्यादा लोगों को मिले हैं। हम सब ने मंदिर के पुजारी से जमीन को खरीदा था। शेखावत ने कहा कि इस मामले में आगे की न्यायिक कार्यवाही की जाएगी। वहीं दूसरी ओर मंदिर के पुजारी वैष्णव का कहना है कि हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों के सभी दावों को निरस्त कर भूमि पर हमारे परिवार का मालिकाना हक बताया है। इसीलिए कोर्ट के आदेश है कि अतिक्रमण हटा कर कब्जा पुजारी परिवार को सौंपा जाए। आज मार्बल एरिया में इस भूमि की कीमत करीब 5 सौ करोड़ रुपए है।
ये भी है अतिक्रमणकारी
किशनगढ़ के एसडीओ ने गत 4 जुलाई को जिन मार्बल कारोबारियों को अतिक्रमी मानते हुए नोटिस जारी किए हंै, उनमें जी बी स्टोनक्स, सिनोदिया मार्बल, बाबा रामदेव मार्बल, गोयल मार्बल, ए क्लास मार्बल, सिद्धेश्वरी मार्बल, सिद्धार्थ मार्बल, बृजमोहन मार्बल, चम्पालाल मार्बल, रमेशचन्द मार्बल, दिनेश मार्बल, रामचन्द्र मार्बल, श्रीओम मार्बल, एम एम एन्टरप्राइजेज, गणपति मार्बल, गोविन्द मुन्दड़ा एण्ड कम्पनी, छाजेड़ आर्म मार्बल, कटनी शिवा इण्डस्ट्रीज, रमेश छापरवाल मार्बल एण्ड सन्स, मीना मार्बल, श्रीनाथ चारभुजा मार्बल, अशोक मार्बल, वेद मार्बल, गुलाब मार्बल, अमित मार्बल, सारदा मार्बल, चैनराज मार्बल, विठ्ठल मार्बल, मार्बल कार्नर, अमृत भोजनालय, जैन भोजनालय, सिद्धी हैण्डीक्राफ्ट, महावीर स्टोनेक्स, कटनी मार्बल, हरीश मार्बल, के टी मार्बल, राघव मार्बल, गोयल स्टोनेक्स, वीर तेजा मार्बल, गुरूदेव मार्बल, शेखावत मार्बल, कोटा स्टोन, राजराजेश्वरी मार्बल, श्री शिवम मार्बल, अमीत मार्बल, महावीर मार्बल, अमित मार्बल, शम्भूनाथ धर्मा मार्बल, महादेव मार्बल, यश मार्बल, रोयला मार्बल्स (टी एस), जयश्री मार्बल, खुशी मार्बल एण्ड ग्रेनाइट, कविता मार्बल, रेनू मार्बल, सीता मार्बल, ए.आर.जी. मार्बल, रॉयल इण्डिया मार्बल, माहेश्वरी स्टोन, महावीर इलेक्ट्रोनिक ट्रेलर धर्मकांटा, कृष्णा मार्बल, प्रिया मार्बल, अरूण मार्बल, यू एम मार्बल, पंचौली धर्मकांटा, मुदगल मोटर्स, अर्पित मार्बल, कमल इंजीनियरिंग।
(एस.पी. मित्तल) (26-09-2016)
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