अंटी में माल हो तो अजमेर शहर के बीचों बीच भी बनाई जा सकती है अवैध कॉलोनी। जिंदा सबूत पीआर मार्ग पर देखा जा सकता है।
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आप अजमेर शहर के रहने वाले हैं और आपकी अंटी में माल है तो आप शहर के बीचों बीच भी अवैध कॉलोनी का निर्माण कर सकते हैं। अवैध निर्माण की ओर न तो नगर निगम न अजमेर विकास प्राधिकरण, न पुलिस न प्रशासन और न ही पंजीयन विभाग देखेगा। लिखने की जरुरत नहीं कि इन विभागों के अधिकारी और कर्मचारी नेत्रहीन क्यों बने हैं। भ्रष्टाचार की सभी सीमाओं को लांघकर अजमेर के व्यस्ततम पीआर मार्ग पर पुराने बर्फ खाने की करीब पांच हजार वर्गगज भूमि पर धड़ल्ल्ले से निर्माण हो रहा है। भ्रष्टाचार की शुरआत पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग से शुरू हुई। इस विभागा को अच्छी तरह पता था कि यह भूमि व्यावसायिक है, लेकिन इसके बावजूद भी सड़क बनाने वाले ठेकेदार हनुमान सिंह मेहता के बेटे रोहित मेहता के नाम आवासीय भूमि की रजिस्ट्री कर दी गई। आवासीय भूमि मानकर रोहित मेहता ने पांच हजार वर्गगज भूमि पर आवासीय कॉलोनी के 70 प्लॉट काट दिए। एक बार फिर आवासीय प्लाटों की रजिस्ट्री हो गई। इतना ही नहीं नगर निगम ने आवासीय कॉलोनी का नक्शा भी स्वीकृत कर दिया। अजमेर के सरकारी दफ्तरों में इस कदर भ्रष्टाचार फैला हुआ है कि टाउन प्लानर ने भी शहर के बीचोंबीच आवासीय कॉलोनी को मंजूरी दे दी। भ्रष्टाचार की हद तो अब हो रही है, जब आवासीय नक्शे की आड़ में व्यावसायिकनिर्माण हो रहा है। ऐसा नहीं कि नगर निगम, एडीए, टाउन प्लानर,पंजीयन आदि विभागों को पता न हो, सब जानते हैं कि कि स्मार्ट सिटी की छाती पर काला धब्बा लग रहा है। लेकिन भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे इन विभागों के अधिकारी पूरी तरहअंधे बने हुए हैं। यूं तो अजमेर के युवा कलेक्टर गोरव गोयल भी सड़कों पर घूमघूम कर हालातों को सुधारने में लगे हुए हैं। न जाने कलेक्टर की नजर इस अवैध कॉलोनी के निर्माण पर कब पड़ेगी। जहां तक नगर निगम का सवाल है तो निगम का दफ्तर इस अवैध कॉलोनी के सामने ही है, लेकिन निगम के 60 पार्षदों में से एक को भी यह कॉलोनी नजर नहीं आ रही है। इतना ही नहीं पीआर मार्ग पर इस कॉलोनी में जाने के लिए मात्र 9 फिट का रास्ता है। कोई बताए तो सही कि 9 फिट वाले रास्ते के बाद 70प्लाटों की कॉलोनी की मंजूरी नगर निगम ने कैसे दे दी?
अभी हाल ही में केन्द्र सरकार ने अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है। स्मार्ट सिटी के नियमों के अंतर्गत अवैध निर्माण भी धराशाही किया जाने हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार की वजह से स्मार्ट सिटी का सपना धरा रहा जाएगा। असल में जिन लोगों के कंधे पर स्मार्ट सिटी का बोझ है वो कंधे वाले ही अवैध निर्माण कर्ताओं के संरक्षक बने हुए हैं।
(एस.पी. मित्तल) (28-09-2016)
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