केजरीवाल और दिग्विजय सिंह ने बोली पाकिस्तानी भाषा। भारतीय सेना की कार्यवाही पर अंगुली उठाने वालों को शर्म आनी चाहिए। ========
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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह अब सेना से उस सर्जिकल ऑपरेशन के सबूत मांग रहे हैं, जो पीओके में 28 और 29 सितम्बर की रात को हुआ था। समझ में नहीं आता कि ये दोनों नेता देश में किस तरह की राजनीति कर रहे हैं। सेना ने जो सर्जिकल ऑपरेशन किया, उसको लेकर पाकिस्तान में संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाया जा रहा है और पाकिस्तान में बैठे आतंकी घबराए हुए हैं, लेकिन वहीं हमारे देश के ये दोनों नेता सेना से ऑपरेशन के सबूत मांग रहे हैं। क्या सबूत दिखवाकर ये नेता आतंकवादियों की मदद करना चाहते हैं? सब जानते हैं कि ऑपरेशन की जानकारी सेना के ही प्रवक्ता ने दी थी, लेकिन इसके बावजूद भी केजरीवाल व दिग्विजय सिंह को अपनी सेना के कथन पर भरोसा नहीं है। यही वजह है कि पाकिस्तान टीवी चैनलों व अखबारों में ये दोनों नेता हीरो बने हुए हंै। पाकिस्तान का मीडिया कह रहा है कि जब भारत के नेताओं को ही अपनी सेना पर भरोसा नहीं है तो फिर पाकिस्तान यह कैसे मान लें कि भारतीय सेना ने पीओके में कोई सर्जिकल ऑपरेशन किया है। समझ में नही आता कि केजरीवाल और दिग्विजय सिंह देश में कैसी राजनीति कर रहे हैं। माना कि केजरीवाल की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दुश्मनी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि भारतीय सेना को ही दांव पर लगा दिया जाए। आज केजरीवाल जिस स्वतंत्रता के साथ प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते हैं, उसके पीछे सेना की ताकत ही है। यदि हमारी सेना सीमा पर मुस्तैद नहीं रहे तो पाकिस्तान के आंतकी न केजरीवाल को छोड़ेगे न दिग्विजय सिंह को। अच्छा हो कि ये दोनों नेता देश के मामलों में सोच-समझकर प्रतिक्रिया दें।
(एस.पी. मित्तल) (4-10-2016)
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