बहुत कठिन है भगवान राम की मर्यादाओं का पालन करना। नगर निगम की ओर से निकली शानदार राम बारात।
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इसे मेरा सौभाग्य ही कहा जाएगा कि 5 अक्टूबर की शाम को अजमेर नगर निगम की ओर से दशहरा महोत्सव के दौरान जो राम बारात निकाली गई, उसकी शुरुआत मैंने की। नगर निगम के परिसर से शुरू हुई राम बारात में मैंने भगवान राम, लक्ष्मण भरत, शत्रुघ्न व अन्य को माला पहनाई। इस मौके पर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और मैंने सभी महानुभावों की आरती उतारी और मुंह मीठा कराया। इसके लिए मैं निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, आयुक्त प्रियवृत्त पांड्या (आईएएस) उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता, महोत्सव प्रमुख भागीरथ जोशी और निगम के सभी पार्षदों का आभारी हंू।
मैं जब भगवान के प्रतीक बने महानुभावों को माला पहना रहा था तभी मुझे भगवान राम की मर्यादाओं का स्मरण हुआ। आज के दौर में भगवानराम की मर्यादाओं पर चलना बहुत कठिन है। यदि सम्पूर्ण रामायण का एक लाइन में निष्कर्ष निकाल जाए तो यह कहा जा सकता है राम ने कभी भी मर्यादा को नहीं तोड़ा। अपने पिता की प्रतिज्ञा के खातिर न केवल राजपाठ छोड़ा बल्कि पत्नी और भाई के साथ 14 बरस वनवास काटा। वो भी तब जब पिता चार पत्नियों के पति थे। आज है कोई ऐसा बेटा जो अपने पिता की प्रतिज्ञा के कारण सब कुछ छोड़ दे। अब तो उल्टा हो रहा है। पत्नी की खातिर माता-पिता को वृद्धाश्रम में भेजा जा रहा है। एक सीता पत्नी थी जो पति के साथ जंगलों में चली गई, लेकिन आज ऐसी पत्नियां हैं जो अपने घर की एक कील भी छोडऩे को तैयार नहीं है। भले ही यह सभी परिवारों पर लागू नहीं होता हो, लेकिन अधिकांश तौर पर ऐसा ही देखा जाता है। असल में भगवान राम ने हमें छोडऩे की प्रवृत्ति सिखाई है। राम ने अपने जीवनकाल में बार-बार त्याग किया, इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के तौर पर आज भी याद किया जाता है। वर्तमान दौर में भी यदि मनुष्य में छोडऩे की प्रवृत्ति होगी तो उसका जीवन बहुत सरल और आनंद मय होगा।
(एस.पी. मित्तल) (5-10-2016)
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