अपने 7 वर्षीय पोते के सवाल से जस्टिस प्रकाश टाटिया ने वाइस चांसलरों को दी सीख। शिक्षाविदें ने आईएएस जमात पर उतारा गुस्सा।====

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7 अक्टूबर को अजमेर की एमडीएस यूनिवर्सिटी में वेस्ट जोन के चार राज्यों के वाइस चांसलरों की दो दिवसीय कांफ्रेन्स शुरू हुई। उद्घाटन सत्र में मैं भी उपस्थित रहा। इस सत्र के मुख्य अतिथि राजस्थान मानवाधिकार अयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने अपने बेबाक अंदाज में अपने 7 वर्षीय पोते का सवाज शिक्षाविदें के सामने रखा। जस्टिस टाटिया ने अपनी जेब से मोबाइल फोन निकाल कर पोते का वॉयस मैसेज सुनाया। इसमें पोता अपने दादा (जस्टिस टाटिया) से सवाल कर रहा है कि दादू आप अच्छे स्टूडेंट थे, इसलिए चीफ जस्टिस बने? जस्टिस टाटिया ने कहा कि मेरे पोते के सवाल का जवाब वाइस चांसलरों की कांफे्रन्स में खोजा जाना चाहिए। शिक्षाविद् वर्तमान शिक्षा पद्वति में अनेक खामियां निकाल रहे हैं, लेकिन इसी पढ़ाई को पढ़कर अनेक विदेशी कंपनी के सीईओ भारतीय हंै। अब वो जमाना लद गया जब ‘गुरु, गोविन्द दोनों खड़े काके लागू पावंÓ कहावत चलती थी। कहा जाता है कि इस शिक्षा को लेकर आदमी घमंडी हो जाता है, लेकिन इस शिक्षा के ग्रहण करने के बाद व्यक्ति उसी के सामने झुकता है, जो ताकतवर होता है। वह सब समझता है कि किसके सामने झुकना चाहिए। मैं जब तक जस्टिस रहा, तब तक मुझे सरकारी कामकाज के तौर-तरीकों का आभास नहीं हुआ, लेकिन रिटायरमेंट के बाद जब दो साल दिल्ली में सरकारी अफसरों से पाला पड़ा तो मुझे लगा कि आम लोग क्यों पीडि़त हंै। उन्होंने माना कि कई मौकों पर उन्हें बहुत गुस्सा आता है, लेकिन सिस्टम को ठीक करने के लिए मेरा गुस्सा वाजिब है। हमें युवाओं को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए, जो एक सुयोग्य नागरिक बना सके।
कांफ्रेन्स में अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष डी एस चौहान, महासचिव फुरकान कमर व आईसीएसएसआर के सुखदेव थोराट ने भी अपने विचार रखे। इन शिक्षाविदें ने आईएएस जमात पर जमकर गुस्सा उतारा। सरकार ने शिक्षा की स्वतंत्रता के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग बना दिया, लेकिन आज भी देश के शिक्षा सचिव की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बार-बार कहा जाता है कि प्रोफेसर का वेतन आईएएस से ज्यादा है। आईएएस तो ग्रेज्युएशन करने के बाद ही बन जाता है, लेकिन प्रोफेसर बनने के लिए सम्पूर्ण शिक्षा के बाद पीएचडी की डिग्री भी लेनी होती है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि शिक्षा सुधार के महत्वपूर्ण निर्णय आईएएस की जमात ही लेती है। अब तो वाइस चांसलरों की नियुक्ति भी संबंधित सरकार की विचारधारा के अनुरूप होती है। सरकार के दखल की वजह से ही शिक्षा जगत के हालात बिगड़ रहे हैं। कांफ्रेन्स में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा राज्यों की यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। राष्ट्रीय नेताओं ने भरोसा दिलाया है कि दो दिवसीय कांफ्रेन्स में जो प्रस्ताव पास होंगे, उसकी रिपोर्ट केन्द्रीय सरकार के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।
(एस.पी. मित्तल) (7-10-2016)
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