केन्द्र सरकार से इस तालमेल को बनाए रखने की जिम्मेदारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है। विलम्ब से सही लेकिन स्वयं के द्वारा पीएम से संवाद और तीन मंत्रियों को दिल्ली भेजने की पहल सराहनीय है। फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल पर चार विधायकों के साथ हुई सहयोगात्मक चर्चा।

कोरोना संकट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर संवाद करने और तीन मंत्रियों का दिल्ली जाकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात करने को लेकर 27 अप्रैल को रात आठ बजे राजस्थान के लोकप्रिय न्यूज़ चैनल फर्स्ट इंडिया पर एक चर्चा हुई। इस चर्चा में मैंने राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर भाग लिया। जबकि चर्चा में मेरे साथ कांग्रेस के विधायक रफीक खान, प्रशांत बैरवा, रामकेश मीणा तथा भाजपा के विधायक रामलाल उपस्थित थे। इस चर्चा का निष्कर्ष यह रहा कि कोरोना काल में केन्द्र सरकार के साथ जो तालमेल हुआ है उसे बनाए रखने की जिम्मेदारी अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है। कांग्रेस के विधायकों ने भले ही भाजपा सांसदों की अनदेखी पर नाराजगी जताई लेकिन यह स्वीकार किया कि 27 अप्रैल को दिल्ली में मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला और रघु शर्मा से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की मुलाकात सकारात्मक रही है। सब जानते हैं कि कोरोना के दूसरे दौर में राजस्थान सरकार और केन्द्र के बीच टकराव ज्यादा ही बढ़ गया था। सीएम गहलोत ने भी केन्द्र सरकार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया, जबकि केन्द्र का कहना रहा कि जो संसाधन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं उनका उपयोग गहलोत सरकार नहीं कर रही है। केन्द्र और राज्य की खींचतान का खामियाजा प्रदेश की जनता को उठाना पड़ रहा है। जब अस्पतालों में ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन के अभाव में मरीज दम तोडऩे लगे, तब मुख्यमंत्री ने तीन मंत्रियों को दिल्ली भेज कर तालमेल की कोशिश की। सीएम गहलोत को पता था कि नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल कोटा से ही विधायक हैं और ओम बिरला कोटा के सांसद हैं, इसलिए तीन सदस्यीय कमेटी में धारीवाल को भी शामिल किया। ओम बिरला ने मंत्रियों की कमेटी को जो महत्व दिया, उसके पीछे धारीवाल का व्यवहार ही रहा। बिरला ने लोकसभा अध्यक्ष के पद का प्रभाव काम में लेते हुए तीनों मंत्रियों की वर्चुअल मीटिंग केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रेल मंत्री पीयूष गोयल आदि से भी करवाई। इसमें कोई दो राय नहीं है कि 27 अप्रैल से राज्य और केन्द्र सरकार में बेहतर तालमेल हुआ है। अब राज्य के मंत्रियों को आरोप लगाने के बजाए केन्द्र से अधिक से अधिक मदद लेनी चाहिए। ताकि राजस्थान में दम तोड़ते मरीजों को मदद मिल सके। यह सही है कि राजस्थान में 25 में से 24 सांसद भाजपा के हैं, कोरोना काल में यदि भाजपा सांसद अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से दूर रहे तो अगले चुनाव में जनता सबक सिखाएगी, लेकिन सीएम गहलोत को अपने मंत्रियों पर भी नियंत्रण रखना होगा। पहली बार मंत्री बन कर चिकित्सा महकमे के मंत्री बने रघु शर्मा के बयानों की वजह से कई बार गहलोत सरकार को मुसीबत का सामना करना पड़ा है। मौजूदा समय में भी यही हो रहा है। ऐसे में केन्द्र से बेहतर तालमेल बना रहे, इसकी जिम्मेदारी स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-04-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

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