तो फिर अरविंद केजरीवाल किस बात के मुख्यमंत्री हैं?

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6 नवंबर को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जेएनयू के छात्र नजीब के लापता होने के मामले में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की। यह बात अलग है कि लापता छात्र को परिजनों की मदद से ढूंढने के लिए दिल्ली पुलिस ने ईनाम भी घोषित कर दिया है। सवाल यह है कि आखिर मुख्यमंत्री की हैसियत से केजरीवाल किन समस्याओं के समाधान को प्राथमिकता दे रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से दिल्ली गैस चैम्बर बना हुआ है। हालात इतने खराब हैं कि लोगों को सांस लेने में भी भारी परेशानी हो रही है। अस्थमा के मरीजों का तो जीना दूभर हो गया है। दिल्ली की स्कूलें तीन दिनों के लिए बंद कर दी गई है। लोग अपने घरों से बाहर निकलने में भी हिचक रहे हैं। ऐसे में केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली में धुएं और धुंध की जिम्मेदारी पड़ौसी राज्य हरियाणा और पंजाब की है। दिल्ली में जब भी कोई समस्या सामने आती है तो केजरीवाल दूसरों को जिम्मेदार ठहरा देते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर केजरीवाल किस बात के मुख्यमंत्री है? धुंध और धुएं के लिए भले ही केजरीवाल पंजाब और हरियाणा को जिम्मेदार ठहराएं, लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए दिल्ली की आतंरिक परिस्थितियां ही जिम्मेदार हैं। मुख्य रूप से तीन कारणों की वजह से वर्तमान हालात उत्पन्न हुए हैं 1- दिल्ली में हो रहे अंधाधुंध निर्माण, 2- वाहन प्रदूषण तथा 3- उद्योग। इसके साथ ही दीपावली के अवसर पर चलाए गए पटाखे भी जिम्मेदार हंै। ऐसे में केजरीवाल यह नहीं कह सकते कि दिल्ली सरकार की कोई जवाबदेही नहीं है। केजरीवाल को यह समझना चाहिए कि 70 में से 68 विधायक उन्हीं की पार्टी के जीते हंै। ऐसे में दिल्लीवासियों ने जो भरोसा केजरीवाल पर जताया, उस पर उन्हें खरा उतरना चाहिए। हर बात के लिए केन्द्र सरकार को और पड़ौसी राज्यों को दोषी ठहरा देने से केजरीवाल अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं।
(एस.पी.मित्तल) (06-11-16)
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