अजमेर नगर निगम के खिलाफ दायर न्यायालय की मानहानि की याचिका खारिज। 490 निर्माणों को लेकर दायर की थी हाईकोर्ट में। चीफ जस्टिस नवीन सिन्हा का निर्णय।

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अजमेर नगर निगम के खिलाफ दायर न्यायालय की मानहानि की याचिका खारिज। 490 निर्माणों को लेकर दायर की थी हाईकोर्ट में। चीफ जस्टिस नवीन सिन्हा का निर्णय।
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7 नवंबर को राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नवीन सिन्हा ने अजमेर नगर निगम के खिलाफ दायर न्यायालय की अवमानना की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से नगर निगम को एक बड़ी राहत मिली है। यह याचिका रवि नरचल ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि 5 अगस्त 2015 को 490 अवैध निर्माणों को लेकर हाईकोर्ट ने जो आदेश दिया था, उसकी क्रियान्वित नगर निगम ने नहीं की। याचिका में बताया गया कि आदेश के पैरा संख्या 45 में तत्कालीन चीफ जस्टिस ने लिखा था कि यदि आदेशों की क्रियान्वित नहीं होती है तो कोई भी जागरूक नागरिक अवमानना की याचिका हाईकोर्ट में दायर कर सकता है। नरचल ने कहा कि चूंकि मूल याचिका भी उन्होंने ही दायर की थी, इसलिए मानहानि याचिका दायर करने का उन्हें संवैधानिक अधिकार है। नरचल की याचिका के साथ ही गोविन्द दायमा की याचिका भी संलग्न थी। इस याचिका में भी 5 अवैध दुकानों को नहीं तोडऩे को लेकर न्यायालय की मानहानि की बात कही गई थी। हालांकि नगर निगम ने बाद में इन पांचों दुकानों को सीज कर दिया था।
चीफ जस्टिस सिन्हा का मानना रहा कि यदि हर व्यक्ति इस तरह मानहानि की याचिका प्रस्तुत करता रहा तो संवैधानिक कार्य नहीं होंगे। इसी दौरान अतिरिक्त महाअधिवक्ता एस.के.गुप्ता ने कहा कि पूर्व में 490 अवैध निर्माणों को तोडऩे अथवा सीज करने के जो आदेश कोर्ट ने दिए हैं, उस पर नगर निगम प्रभावी तरीके से कार्यवाही कर रहा है। कई निर्माणों को सीज किया गया है, इसके साथ ही सरकार के नियमों के तहत जुर्माना भी वसूला गया है। गुप्ता ने न्यायालय को भरोसा दिलाया कि अवैध निर्माण के विरुद्ध नियमों के तहत सख्त कार्यवाही की जाएगी। बहस के दौरान याचिकाकर्ता रवि नरचल ने कहा कि मूल याचिका उन्होंने ही प्रस्तुत की थी, इसलिए न्यायालय को अब मानहानि याचिका पर भी निगम के खिलाफ कोई आदेश पारित करना चाहिए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जस्टिस सिन्हा ने नरचल की याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका के खारिज होने से अब नगर निगम प्रशासन को बड़ी राहत मिली है। साथ ही अवैध निर्माणकर्ताओं को भी राहत मिलेगी।
490 वाला आदेश प्रभावी है:
जानकारों के अनुसार 7 नवंबर को चीफ जस्टिस का जो निर्णय आया है, उससे 5 अगस्त 2015 का आदेश प्रभावित नहीं होगा। जस्टिस सिन्हा ने सिर्फ न्यायालय की अवमानना याचिका को खारिज किया है। पूर्व चीफ जस्टिस अजीत सिंह ने 5 अगस्त 2015 को 490 अवैध निर्माणों को तोडऩे अथवा सीज करने का जो आदेश दिया था, वह आज भी प्रभावी है। निगम को पूर्व आदेशों के अनुरूप ही अवैध निर्माणकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही करनी है।
(एस.पी.मित्तल) (07-11-16)
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